India mein bhoot pret bhagane wale mandir - भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जहां भूत-पिशाच भगाए जाते हैं। इन मंदिरों में माथा टेकने से लोगों के ऊपर आई हुई भूत बाधा दूर हो जाती है। ऐसा माना जाता है इन मंदिरों में अगर पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ अगर कोई पूजा पाठ करता है तो उसके ऊपर से सभी भूत पिशाच या बुरे सायें दूर हो जाते है | आइए जानते है भारत के ऐसे रहस्य्मय मंदिरों के बारें में |
0 टिप्पणी
भूतों के प्रकार : हिन्दू धर्म में गति और कर्म अनुसार मरने वाले लोगों का विभाजन किया है- भूत, प्रेत, पिशाच, कूष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, वेताल और क्षेत्रपाल। उक्त सभी के उप भाग भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार 18 प्रकार के प्रेत होते हैं। भूत सबसे शुरुआती पद है या कहें कि जब कोई आम व्यक्ति मरता है तो सर्वप्रथम भूत ही बनता है।
इसी तरह जब कोई स्त्री मरती है तो उसे अलग नामों से जाना जाता है। माना गया है कि प्रसुता, स्त्री या नवयुवती मरती है तो चुड़ैल बन जाती है और जब कोई कुंवारी कन्या मरती है तो उसे देवी कहते हैं। जो स्त्री बुरे कर्मों वाली है उसे डायन या डाकिनी करते हैं। इन सभी की उत्पति अपने पापों, व्याभिचार से, अकाल मृत्यु से या श्राद्ध न होने से होती है।
84 लाख योनियां : पशुयोनि, पक्षीयोनि, मनुष्य योनि में जीवन यापन करने वाली आत्माएं मरने के बाद अदृश्य भूत-प्रेत योनि में चले जाते हैं। आत्मा के प्रत्येक जन्म द्वारा प्राप्त जीव रूप को योनि कहते हैं। ऐसी 84 लाख योनियां है, जिसमें कीट-पतंगे, पशु-पक्षी, वृक्ष और मानव आदि सभी शामिल हैं।
प्रेतयोनि में जाने वाले लोग अदृश्य और बलवान हो जाते हैं। लेकिन सभी मरने वाले इसी योनि में नहीं जाते और सभी मरने वाले अदृश्य तो होते हैं लेकिन बलवान नहीं होते। यह आत्मा के कर्म और गति पर निर्भर करता है। बहुत से भूत या प्रेत योनि में न जाकर पुन: गर्भधारण कर मानव बन जाते हैं।
पितृ पक्ष में हिन्दू अपने पितरों का तर्पण करते हैं। इससे सिद्ध होता है कि पितरों का अस्तित्व आत्मा अथवा भूत-प्रेत के रूप में होता है। गरुड़ पुराण में भूत-प्रेतों के विषय में विस्तृत वर्णन मिलता है। श्रीमद्भागवत पुराण में भी धुंधकारी के प्रेत बन जाने का वर्णन आता है।
0 टिप्पणी
| पोस्ट किया
आज के जमाने में भूत प्रेतो पर कौन विश्वास करता है। अक्सर देखा जाता है कि पढ़े-लिखे लोग इसे अंधविश्वास कहते हैं। जबकि इसमें कई लोगों कि इनमें बहुत श्रद्धा होती है हालांकि, भूतों से जुड़ी कई कहानियां भी हम सभी ने सुनी हैं, लेकिन कौन जानता है कि इसमें सच्चाई है या ये सिर्फ लोगों के दिमाग के ऊपज है। तो चलिए अब हम आपको बताते हैं कि भारत में कहां-कहां बुरी आत्मा को भगाया जाता है।
कष्टभंजन देव हनुमानजी मंदिर, गुजरात - गुजरात के कष्टभंजन हनुमान जी मंदिर में लोगों के अंदर से भूत भगाने का दावा किया जाता है। दुष्ट आत्माओं से पीड़ित लोग अक्सर यहां अपना इलाज करने आते हैं।
दत्तात्रेय मंदिर, मध्यप्रदेश :- मध्य प्रदेश में स्थित दत्तात्रेय मंदिर में लोग पूर्णिमा और अमावस्या पर होने वाली महामंगल आरती में शामिल होने आते हैं। इस मंदिर में कई बार भूत पिशाच के चिखने चिल्लाने की आवाज़ें आने का दावा किया जाता है।
चंडी देवी मंदिर, हरिद्वार:- हरिद्वार उत्तराखंड का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है।यहां चंडी देवी का मंदिर है, भूत और बुरी आत्माओं को भगाने के लिए काफी मशहूर मंदिर है।चंडी देवी क्रोध की देवी कहा जाता है।इसलिए जिन लोगों पर भूतों का साया होता है यहां आकर अपने आप ही उतर जाता है।
देव जी महाराज मंदिर, मध्य प्रदेश :- भूत पिशाच भगाने के लिए मध्य प्रदेश का देव जी महाराज मंदिर बहुत प्रसिद्ध मंदिर है।इस मंदिर में चांदनी रात में भूत निकाले जाते हैं। कहते हैं कि जिन लोगों के भीतर बुरी आत्माओं का वास होता है मंदिर के पुजारी इन सायों को उतारने के लिए पवित्र झाड़ू से बार करते हैं।यह भी मानता है की भूतों को झाड़ू से बहुत डर लगता है।दिलचस्प बात है कि इस मंदिर में हर साल भूतों का मेला लगता है।
कालीघाट मंदिर, कोलकाता:- माना जाता है की सबसे ज्यादा तंत्र साधना बंगाल में होती है।कोलकाता की कालीघाट मंदिर ऐसा भी दिखाई देता है,भूत पिशाच, आत्मा से परेशान लोग यहां अपना इलाज करने आते हैं।इस मंदिर का माहौल इतना भयानक होता है कि नॉर्मल इंसान देखकर डर जाता है।
0 टिप्पणी
| पोस्ट किया
आइए दोस्तों आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताना चाहते हैं कि हमारे भारत देश में कहां कहां बुरी आत्मा को भगाया जाता है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर में कौन-कौन सी जगह है। उनमें से सबसे पहले नंबर पर आता मेहंदीपुर बालाजी यहां पर भगवान बजरंगबली जी की पूजा की जाती है जो व्यक्ति भूत प्रेत से परेशान होकर यहां पर बजरंगबली जी को अर्जी लगाता है वे यहां से कभी खाली नहीं जाता है। यहां पर भूत प्रेत को भगाने के लिए थर्ड डिग्री का प्रयोग किया जाता है। तथा जब तक भूत प्रेत आत्मा को छोड़कर नहीं चली जाती है। उसे वहां से जाने नहीं दिया जाता है।
0 टिप्पणी