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दोस्तों आज इस पोस्ट में हम आपको अल्टीना शिनासी के बारे में बताएंगे शिनासी का जन्म 4 अगस्त 1907 को मैनहाट्टन न्यूयॉर्क में ही हुआ था अल्टीना शिनासी की प्रारंभिक पढ़ाई घर पर हुई थी और फिर 12 वर्ष की उम्र की होने के बाद वे वेलेस्ले,
मैसाचुसेहज के डाना हॉल स्कूल में पढ़ने के लिए चली गई अल्टीना शिनासी अपने भाई के साथ कुछ समय तक पेंटिंग सीख फिर कल के क्षेत्र में उन्हें रुचि हो गई और वे फिर उनके बाद कला के क्षेत्र में पेंटिंग सीखने के लिए शिनासी पेरिस चली गई अल्टीना अमेरिका आने के बाद पीटर कोपलैड के साथ काम शुरू कर दिया फिर उन्होंने स्पेनिश कलाकार साल्वाडोर डाली के साथ काम किया था उन्होंने जर्मन कलाकार जॉर्ज ग्रॉज से कला में मिनिस्टर डालने से सीखा अल्टीना शिनासी की सबसे बड़ी फेस का चश्मा की फ्रेम है। उन्होंने इस क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है इसीलिए गूगल भी उनका जन्मदिन मना रहा है।
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अल्टीना शिनासी का जन्म सर्वप्रथम 4 अगस्त, 1907 को मैनहट्टन, अमेरिका मे हुआ था। अल्टीना शिनासी क़े पिता जी का नाम मॉरिस शिनासी है और माता जी का नाम लॉरेट शिनासी है। अल्टीना शिनासी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही पूर्ण क़ी थी, इसके बाद अल्टीना शिनासी ने 12वर्ष की उम्र में वेलेस्ले, मैसाचुसेट्स के डाना हॉल स्कूल में बोर्डिंग स्कूल शिक्षा ग्रहण करने क़े लिए गयी।
डाना हॉल स्कूल मे अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, शिनासी अल्टीना ने अपनी बहन और माँ के साथ पेरिस चली गयी।वहां पर अपने चचेरे भाई, रेने बेनसुसन के साथ शिनासी भी पेंटिंग का अध्ययन करने लगी और खुद को पेंटिंग क़ी दुनिया में डुबो दी इस अनुभव ने पेंटिग कलाकर दुनिया भर क़े लोगो का प्यार मिला और जिसके कारण संयुक्त राज्य अमेरिका लौटने पर शिनासी ने कॉलेज की शिक्षा लेने के बजाय कला विद्यालय का चयन करते हुए उन्होंने खुद को कला क़ी दुनिया मे डूबो कर रख दिया।
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अल्टीना सिनासी के बारे में अक्सर लोग गूगल पर सर्च करते हैं, तो चलिए आज हम आपकी मदद करते हैं अल्टीना सीनासी के बारे में बताकर, अल्टीना सिना सी का जन्म 4 अगस्त सन 1960 को (मैनहट्टन) के अमेरिका में हुआ था। अल्टीना सिनासी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर रहकर पूर्ण की है इसके बाद 12 वर्ष की उम्र में पढ़ने के लिए इन्हें विदेश भेज दिया गया, यानी कि पेरिस भेज दिया गया था जहां वे अपने चचेरे भाई के साथ रहकर कुछ दिनों में ही पेंटिंग सीख ली और फिर न्यूयॉर्क में कला विद्यालय में शामिल हो गई।जहां पर उन्होंने एक से बढ़कर एक पेंटिंग बनाई और दुनिया में अपना नाम कमाने लगी इसके बाद इन्होंने एक और नई कलाकारी की रचना की उन्होंने महिलाओं के चश्मे के आकार में बदलाव दिया।
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