अनचाहे और मनचाहे रिश्ते....
रिश्ते जो अनचाहे और मनचाहे से,कभी अपने तो कभी सपने से कुछ मेरे तो कुछ तुम्हारे,पूरे हो जायें तो ख़ुशी के,न हो पूरे तो ग़म के, रिश्ते जो अनचाहे और मनचाहे से,कभी अपने तो कभी सपने से.........

Kanchan Sharma
@ Content Writer | पोस्ट किया 02 Jun, 2018 | अन्य
चिंता चिता समान..............
कहते है चिंता चिता समान होती हैं । चिंता हो या चिता हिंदी वर्णमाला के हिसाब से बस एक मात्रा ही किसी भी शब्द का अर्थ बदल देती हैं या फिर कह सकते हैं कि एक मात्रा किसी अर्थ का अनर्थ बना देती हैं । …
माँ तो बस माँ होती है ......................
दुनियाँ में हर रिश्ते का मोल, बस एक माँ जो तू सबसे अनमोल,
माँ तो बस माँ है, उसके जैसा न कोई और, बच्चे की नज़र जहाँ तक जाए, माँ का साया चारो और,
दुनियाँ का हर रिश्ता हमे मिला माँ से, पर माँ का तो हर एक …


Anupam

अनुपम.. कोई शब्द नहीं है..

बिलकुल सही, माँ तो माँ होती है !

बहूत खूब लिखा आपने। माँ तो माँ होतीं हैं। माँ का अस्थान कोई नही ले सकता।
naic