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कहते है चिंता चिता समान होती हैं । चिंता हो या चिता हिंदी वर्णमाला के हिसाब से बस एक मात्रा ही किसी भी शब्द का अर्थ बदल देती हैं या फिर कह सकते हैं कि एक मात्रा किसी अर्थ का अनर्थ बना देती हैं । कैसा होता हैं ये शब्दों का फेर बदल ,हिंदी वर्णमाला की सिर्फ़ एक मात्रा से ही इंसान का व्यक्तित्व बदल जाता हैं । अगर कोई इंसान परेशान हैं तो उसकी परेशानी को चिंता नाम दिया जाता हैं,और वहीं दूसरी तरफ कोई
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दुनियाँ में हर रिश्ते का मोल, बस एक माँ जो तू सबसे अनमोल,
माँ तो बस माँ है, उसके जैसा न कोई और, बच्चे की नज़र जहाँ तक जाए, माँ का साया चारो और,
दुनियाँ का हर रिश्ता हमे मिला माँ से, पर माँ का तो हर एक रिश्ता होता मेरी एक मुस्कान से,
बिना कहे मेरे हर दर्द को समझ लेती है, दुःख भरे जीवन में सुख की छाया देती है,
माँ तुझे समझना बहुत मुश्किल है मुझे, पर तू कैसी है मेरी हर तकलीफ
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