विश्व प्रशिद्ध शायर ग़ालिब को कौन नहीं जानता है उनके बोलने के लहज़े से उनकी शायरियां उनकी हर अदायगी में उनके जीवन का अनुभव और खूबसूरत शब्द दिखाई पड़ते थे, आज मैं आपको उनकी ही चार पक्तियों के बारें में बताउंगी जिनमें ग अक्षर का प्रयोग कही भी नहीं हुआ है |
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हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले