शिव जी के माथे पर त्रिपुंड इस तरह आया
भगवान शिव जी के माथे पर भभूत (राख) से बनी तीन रेखाएं हैं। माना जाता है कि यह तीनों लोको का प्रतीक है। इसे रज, तम और सत गुणों का भी प्रतीक माना जाता है। लेकिन शिव जी के माथे पर भभूत की यह तीन रेखाएं कैसे आयी इसकी बड़ी रोचक कथा है।
पुराणों के अनुसार दक्ष प्रजपति के यज्ञ कुंड में सती के आत्मदाह करने के बाद भगवान शिव उग्र रूप धारण कर लेते हैं और सती के देह को कंधे पर लेकर त्रिलोक में हहाकार मचाने लगते हैं। अंत में विष्णु जी चक्र से सती जी के देह को खंडित कर देते हैं। इसके बाद भगवान शिव जी अपने माथे पर हवन कुंड की राख मलते और इस तरह सती की याद को त्रिपुंड रूप में माथे पर स्थान देते हैं।