मोदी सरकार का यह दूसरा कार्यकाल है और सभी जानते थे कि अगला शब्द, तीसरा, (यानी तीसरी बार सत्ता में आना )एक सपना है। वे सत्ता में वापस नहीं आए है बल्कि यह स्थिति को थोड़ा नीरस बना देता है।
अगर भाजपा के अलावा आरएसएस और अन्य प्रॉक्सी हिंदुत्व संगठनों को अपने मौलिक सपनों को हकीकत में लाना है तो करो या मारो जैसी परिस्थति पैदा होती है | जो भारत को हिंदू राष्ट्र में बदल रही है।
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बीजेपी द्वारा अगले 5 वर्षों में, राम जन्मभूमि का विषय मुख्य धारा बना कर पेश किया जायेगा और बड़े बदलाव की कड़ी बताई जाएगी। जो लोगों को आकर्षित करने के लोए काफी है। और भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर बहुत कुछ निर्भर करेगा।
अगर हम राम जन्मभूमि के विषय के बारे में बात करें तो बहुत कुछ ऐसा होगा जो अलग - अलग समुदायों को अलग करने जैसा होगा | वही रचनात्मक विषाक्त विभाजन और, कुल मिलाकर, देश में एक अलोकतांत्रिक सामाजिक संरचना का निर्माण करेगा |
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वही दूसरी ओर रोमिओ स्क्वाड और गौ रक्षा जैसे मुद्दे उठा कर इसमें अलवर और दादरी की भीड़ की तरह मुट्ठी भर लोगों को शामिल कर के चरम हिंदू राष्ट्रवादियों के अत्याचार को उजागर करेगी। लेकिन फिर इस तरह की घटनाओं को हिंदू-मुस्लिम और पाकिस्तान के प्रचार के तहत गलीचे के नीचे छिपा दिया जाएगा।
इन मुद्दों के नीचे सब चुप रह जायेंगे | ऐसे ही कई महत्वपूर्ण तथ्य और विषय लोगों के ध्यान से दूर हो जाएंगे। वही 95 प्रतिशत बिक चुका मीडिया किसानों, बेरोजगारी, भुखमरी, चौकीदारों की वास्तविक समस्याओं, अनुबंधों पर शिक्षकों की समस्याओं, बैंक कर्मचारियों की समस्याओं, खराब स्वास्थ्य सुविधाओं, खराब गुणवत्ता वाली शिक्षा के बारे में बात ही नहीं करेगा और केवल बेकार बेवज़ह मुद्दों को महत्व दिया जायेगा और हजारों और लाखों प्रदर्शनकारियों की आवाज को शांत किया जाएगा।
हमेशा की तरह बाएँ और दाएँ में विभाजन चरम सिरों पर जाएगा और दिन प्रतिदिन कई सांप्रदायिक दंगे होंगे। सभी चिंता के विषय जैसे "हमारी जीडीपी बढ़ी है" इन सभी बातो को छोड़ कर हमारे पीएम मोदी हाथ हिलाते हुए केवल रॉकस्टार की छवि ही दिखाते रहेंगे | इतना ही नहीं बल्कि आने वाले अगले पांच सालों में वह सबको ट्रैवेलिंग जरूर सीखा देंगे |
वह मन की बात बहुत करते है लेकिन वह दूसरों की मन की बात कभीनहीं सुनेंगे। वह अपनी पार्टी के सदस्यों के साथ मिलकर बहुत झूठ बोलते थे।
हाँ लेकिन आने वाले पांच सालों में रिपब्लिक टीवी और ज़ी न्यूज़ की पसंद के लिए व्यापार अधिक होगा। और NDTV और द क्विंट जैसे सवालों को पूछने की हिम्मत रखने वाली आवाज़ों पर छापा मारा जाएगा और गरीब लोग सिर्फ भरम में रह जायेंगे कि मोदी जी गरीबी हटाते है और मोदी जी भी यही प्रचार करेंगे कि "हमने 10 मिलियन लोगों को गरीबी से बचाया है"। लेकिन जमीन पर, वास्तविकता बहुत अलग होगी।
सपने सिर्फ भ्रामक संख्या और बयानबाजी बनकर खत्म हो जायेंगे | "हमने सभी भारतीय गांवों को बिजली की पहुंच प्रदान की है" "हमने लाखों युवाओं को रोजगार प्रदान किया है"। लेकिन जमीन पर, वास्तविकता कुछ और ही होगी ।
अगले पांच वर्षों में, सांप्रदायिक समस्याओं, लापरवाह आर्थिक उपायों और बहुत अधिक नकली समाचारों का निरंतर भय और व्यामोह होगा। तंत्र की महत्वपूर्ण मशीने, चाहे वह अदालतें हों, बैंक हों या चुनाव आयोग हों - वे सभी राजनीतिक एजेंडों के साथ हमेशा की तरह समझौता किया जायेगा |
अगर आपको लगता है कि यह सब बुरा था, अगले पांच वर्षों में, भाजपा-आरएसएस-अंबानी शासन के तहत, यह बहुत बुरा होने वाला है। और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह पूरे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण शब्द हो सकता है। हम सिर्फ नाम के लिए एक लोकतंत्र होने का अंत कर सकते हैं।
p .s कांग्रेस और राहुल गांधी एक बड़ा हंसी का पात्र बन जाएंगे।