सबसे पहले तो उस मां का धन्यवाद जिसने मुझे इस धरती पर जन्म दिया, मुझे इतना काबिल बनाया कि जो में आज लिख रहा हूं. अगर एक मां ने मुझे जन्म नहीं दिया होता तो आज मैं इस धरती पर नहीं होता और इस धरती पर नहीं होता तो आज मदर्स डे के मौके पर मां का इस दुनिया में क्या कर्ज है इसके बारे में नहीं लिख रहा होता.... यह सौभाग्य मुझे एक मां से ही प्राप्त हुआ है....
कहते हैं कि अच्छे कर्म करो तो जन्नत नसीब होगी मेरा मानना है मां के कदमों में जन्नत है. यह वह जन्नत है जो हमको जीते जी प्राप्त होती है मरने के बाद किसने दुनिया देखी है वह कहां जाएगा, कहां नहीं जाएगा,वह तो काल्पनिक बातें हैं.
एक मां से कब कौन महात्मा जन्म ले ले यह कोई नहीं जानता. जिन्हें हम भगवान मानते हैं,श्री राम एक मां से पैदा हुए, श्री कृष्ण मां से पैदा हुए, महात्मा बुध मां से पैदा हुए, महावीर जैन मां से पैदा हुए, गुरु नानक देव, कबीर दास आदि शंकराचार्य, तुलसीदास, वेदव्यास, बाल्मीकि यहां तक कि वेदों को लिखने वाले भी मां से ही पैदा हुए हैं यानी कि जितने भी महापुरुष पैदा हुए हैं सभी को जन्म एक मां ने ही दिया. अगर एक स्त्री नहीं होती तो इन सभी महापुरुषों का संसार में आना बिल्कुल भी संभव नही था.
जितने भी धर्म है हिंदू, मुस्लिम,सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी इन सभी धर्मों के संस्थापको को जन्म मां ने ही दिया है. देखा जाए तो मां का इस पूरी दुनिया के सभी धर्मों पर कर्ज हैं. क्योंकि यह सभी धर्म आज तभी है जब मां है.
सोचिए अगर एक मां नहीं होती तो क्या यह सभी धर्म कभी बनते, कभी भी नहीं. जितनी भी धार्मिक पुस्तकें हैं उनको लिखने वाले सभी मां से ही जन्मे है. स्त्रियां नहीं होती तो आज हमारे पास धार्मिक पुस्तके नहीं होती.क्योंकि कोई भी धार्मिक पुस्तक आसमान से नहीं आई है सभी धरती पर ही लिखी गई है. और यह तभी संभव हो पाया है जब एक स्त्री ने इन सभी महापुरुषों को जन्मा है.
दुख तब होता है जब एक पिता को अपनी बेटी बोझ लगने लग जाती हैं.दुख तब होता है जब वह पिता इस बात को कहता है कि काश भगवान उसे लड़का ही पैदा करें लड़की नहीं.दुख तब होता है जब एक पिता अपनी लड़की के लिए जमीन जायदाद बेचकर शादी करवाता है और लड़के वालों को दहेज देता है ताकि उसकी लड़की हमेशा खुश रहे मगर निराशा तब हाथ में लगती है जब उस पिता की बेटी को ससुराल वाले प्रताड़ित करते हैं. इतना कुछ नहीं देने के बावजूद भी वह बेटी खुश नहीं रह पातीे हैं आखिर क्यों वह लोग नहीं समझते कि जो बेटी आपके घर में आई है वह 1 दिन मां बनेगी वही मां से क्या पता कब कोई महापुरुष और महात्मा पैदा हो जाए यह कोई नहीं जानता.
यहां पर मैं किसी धर्म का नाम नहीं लेना चाहता बहुत से धर्म ऐसे हैं जहां पर स्त्रियों को एक समान दर्जा नहीं दिया जाता है. स्त्रियों को प्रताड़ित किया जाता है उनको परदे में रहने के लिए कहा जाता है उनके लिए सिर्फ एक बात समझना जरूरी है कि जिन्हें आप पर्दे में रख रहे हैं उन्हीं ने आपको भी जन्मा है और आपके धर्म गुरुओं को भी.
मंदिरों में जाने से अच्छा, मस्जिदों में जाने से अच्छा, चर्च में जाने से अच्छा, गुरुद्वारे में जाने से अच्छा, अगर उस मां की सेवा की जाए तो उससे बड़ी खुशी और उससे बड़ा आशीर्वाद कहीं नहीं मिल सकता. यह सभी धर्म स्थल तभी हैं इसकी वजह वह मां है जिसने इन सभी धर्म के गुरुओं को पैदा किया है.
अगर कोई संतान अपनी मां की सेवा नहीं कर पाया तो वह जितने भी धार्मिक स्थल में जा कर पूजा करके आ जाए, हज पर चला जाए,चार धाम की यात्रा करके आ जाए, उसको कहीं भी स्कुन नसीब नहीं होगा क्योंकि जो उसको स्कून मां की सेवा करने में मिलेगा वह कहीं भी नहीं मिल सकता है. सबसे पहले मां है.
