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विदाई वो समय होता है जब मां को पता चलता है, कि बेटी घर छोड़कर एक नया परिवार शुरू करने जा रही है | ऐसा नहीं है कि इस समय को "अलविदा" समय कहा जाए, इसको एक नए रिश्ते की शुरुआत के रूप में देखा जा सकता है, जब बेटी अपने माता-पिता के साये से दूर होकर अपनी एक अलग दुनिया बसाने जा रही होती है | फिर भी विदाई का एहसास माता-पिता और उनके सभी परिवार को रुला देता है |
(Courtesy: Pinterest)
अब सवाल ये आता है कि क्या दुल्हन का अपने माता-पिता को देखकर रोना स्वाभाविक है या नहीं ?
विदाई शादी के बाद का वह समय होता है, जो समय वास्तव में दुल्हन के लिए सबसे अधिक दुःख भरा पल होता है जब एक लड़की को अपना घर छोड़कर दूसरे घर जाना होता है | जहाँ एक लड़की ने अपना सारा बचपन बिताया है, कई यादें बनाई है बस एक पल में उसके लिए सब पराया हो जाता है | यहाँ लड़की को स्वाभाविक रूप से रोना आएगा ही |
(Courtesy: Nishant Ratnakar)
जब लड़की की शादी होती हैं, और वो विदा होकर जाती है, तो उसको उस आँगन को छोड़कर जाना अच्छा नहीं लगता | वो चाहे कितनी भी मजबूत बन जाए पर उसकी भावनाएं उस समय उसकी आँखों से छलक जाती हैं जब वह विदा होकर कार में होती है | पिछली सारी यादें उसकी और उसके परिवार की आंखों के सामने चमकती हैं, जो आंसू बनकर बहती हैं | यही कारण है कि भारतीय दुल्हनें विदाई के समय रोती हैं |
इसका एक पक्ष और भी है, जिसके कारण दुल्हन विदाई के वक़्त रोती है |
(Courtesy : Dainik Bhaskar )
विदाई के समय दुल्हन का रोना आवश्यक होता है, अगर दुल्हन रोती नहीं है, तो समाज बातचीत करता है, और कई विचार लोगों के मन में आ सकते हैं -
जैसे -
• उसे अपना परिवार पसंद नहीं होगा |
• शायद वह अपनी माँ के करीब नहीं थी।
• यह जरूर एक प्रेम विवाह होगा |
दिलचस्प बात यह है कि, हाल ही में, एक बंगाली दुल्हन ने विदाई के समय रोने से इनकार कर दिया था। सामने आया वीडियो सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा था, जो खुद दिखाता है कि दुल्हनों के लिए भारत में रोना न आना कितना अनोखा है।
(Courtesy : Shadi Tayari )