इस बार होलिका दहन 20 मार्च को है और अगले दिन 21 मार्च को होली खेली जाएगी | होलिका दहन की अपनी एक कहानी है और होली खेलने की भी अपनी अलग कहानी है | आइये आज आपको होली से जुड़ी कुछ कथाओं के बारें में बताते हैं |
- होलिका दहन से जुड़ी कहानी :-
हिरण्यकश्यप जो की राक्षसों का राजा | जिसके राज्य में भगवान की पूजा तो बहुत दूर की बात भगवान का नाम लेना था अपराध माना जाता था | उस राजा की संतान प्रह्लाद जो की भगवान विष्णु का सबसे बड़ा भक्त हुआ | अपने पुत्र की इस भक्ति से हिरण्यकश्यप इतना परेशान हो गया कि उसने अपने पुत्र को मारने के बड़े जतन किये परन्तु हर बार भगवान विष्णु ने अपने भक्त की रक्षा की और उसको बचाया | हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसको वरदान था कि वह आग से कभी नहीं जल सकती | होलिका ने प्रह्लाद अपनी गोद में उठाया और आग में प्रवेश कर गई | वहाँ पर भी कुछ देर बाद होलिका खुद जल गई और प्रह्लाद बच कर वापस आ गया | तब से यह त्यौहार बुराई पर अच्छे की जीत के रूप में मनाया जाता है |
(Courtesy : वेबदुनिया )
- कामदेव की कहानी :-
देवी सती के मृत्यु के बाद भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन हो गए | इंद्रा देवता ने कामदेव को भगवान शिव की तपस्या भांग करने का आदेश दिया | कामदेव ने भगवान शिव को कई तरह से मोहित करने की कोशिश की परन्तु कामदेव का कोई प्रयास काम नहीं आया | उस वक़्त उसने बसंत ऋतू को याद किया और कामदेव ने अपनी माया से बसंत का प्रभाव पूरे ब्रह्माण्ड में फैला दिया | इससे शिव जी तो नहीं परन्तु पूरा ब्रह्माण्ड काममोहित हो गया | कामदेव की तमाम कोशिश के बाद भी कामदेव नाकामयाब रहे फिर उन्होंने भगवान शिव पर फूलों के बाण चलना शुरू किया और जो भगवान शिव के मस्तक पर लगा जिससे उनकी तीसरी आँख खुल गई और कामदेव शिव की क्रोध की अग्नि में भस्म हो गए |
उस दिन के बाद से बसंत पर होली जलाने की परंपरा शुरू हो गई और इस घटना के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह करने की सहमति दे दी जिसके उल्लास के रूप में सभी ने रंगों और गुलाल से अपनी ख़ुशी ज़ाहिर की | जो की होली के रूप में मनाया जाता है |