अहमद फ़राज़ उर्दू साहित्य के जाने माने और लोकप्रिय शायरों में से एक थे, और उन्होनें अपनी बेहतरीन शायरियों से सबका मन मोहा और खुद को लोगों के दिलों में अपनी एक जगह बनाई | इसलिए आज हम आपसे अहमद फ़राज़ की कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय शायरियां शेयर करने जा रहे है |
- आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
इतना मानूस न हो ख़ल्वत-ए-ग़म से अपनी
तू कभी ख़ुद को भी देखेगा तो डर जाएगा
डूबते डूबते कश्ती को उछाला दे दूँ
मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जाएगा
ज़िंदगी तेरी अता है तो ये जाने वाला
तेरी बख़्शिश तिरी दहलीज़ पे धर जाएगा
ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का 'फ़राज़'
ज़ालिम अब के भी न रोएगा तो मर जाएगा |
- अब के हम बिछड़े तो
शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल
किताबों में मिलें
ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें
तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें
आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों पर
क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें
अब न वो मैं न वो तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़'
जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें
VIDEO
- यूँही मर मर के जिएँ वक़्त गुज़ारे जाएँ
ज़िंदगी हम तिरे हाथों से न मारे जाएँ
अब ज़मीं पर कोई गौतम न मोहम्मद न मसीह
आसमानों से नए लोग उतारे जाएँ
वो जो मौजूद नहीं उस की मदद चाहते हैं
वो जो सुनता ही नहीं उस को पुकारे जाएँ
बाप लर्ज़ां है कि पहुँची नहीं बारात अब तक
और हम-जोलियाँ दुल्हन को सँवारे जाएँ
हम कि नादान जुआरी हैं सभी जानते हैं
दिल की बाज़ी हो तो जी जान से हारे जाएँ
तज दिया तुम ने दर-ए-यार भी उकता के 'फ़राज़'
अब कहाँ ढूँढने ग़म-ख़्वार तुम्हारे जाएँ