Mechanical engineer | पोस्ट किया |
Content Coordinator | पोस्ट किया
वर्तमान समय में जहां झूठ, फरेब , भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है, वहीं लोग कामचोर और मक्कार भी होते जा रहे हैं | मक्कार शब्द आपने कई बार सुना होगा और आपने इस शब्द का प्रयोग भी किया होगा | मक्कारी शब्द का अर्थ होता है दूसरों के साथ छल करना, अपने काम से जी चुराना और दूसरों को नीचे दिखा कर खुद को सबसे सरल बताना |
(courtesy-Zoe Ministries)
आसान शब्दों में इसका अर्थ ये भी मान सकते हैं कि हर काम को ये कह कर मना कर देना कि मुझसे नहीं आता | आज कल लोग इतने मक्कार हो गए हैं कि किसी भी काम को करना नहीं चाहते बस हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर होना चाहते है कि कोई उनका काम कर दें | मुझे लगता है कि मक्कार शब्द के अर्थ से ही समझ आ गया होगा कि दुनिया में मक्कारी क्यों बढ़ गई है | क्योकि दुनिया इंसानों से बनी है और आज के समय में हर दूसरा इंसान झूट ही बोलता है | वैसे मक्कारी बढ़ने के और भी कई ऐसे कारण हैं, जिसके बारें में कभी हमने सोचा नहीं होगा क्योकिं जिस कारण मक्कारी बढ़ रही है उसकी गिनती हम अपनी सुविधाओं में करते हैं |
आइये जानते हैं दुनिया में मक्कारी बढ़ने का क्या कारण है :-
- तकनीक का विकास -
मक्कारी बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण है, तकनीक का विकास | इस बात से शायद ही कोई सहमत हो लेकिन यह भी एक बहुत बड़ा पहलु है क्योंकि हर कोई खुद से काम न कर के काफी हद तक मशीनों पर निर्भर करने लगा है | उदहारण के तौर पर घर बैठे ही आप कुछ भी खरीद सकते है खाने पीने का सामान मंगवा सकते है |
- जिस तरह का जीवन हम जी रहे है वह किसी भी तरह से सही नहीं है क्योंकि आज के समय में हर इंसान केवल अपने बारें में सोचना पसंद करता है और दूसरों के प्रति बुरा और घृणा का भाव रखता है |
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आइए दोस्तों आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताएंगे कि जहां झूठ फरेब, भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ लोग काम करने से भागते हैं। उन्हें लगता है कि हमें काम ना करना पड़े और बिना काम किए ही खाने को मिल जाए यह मक्कारी नहीं तो और क्या है। मक्कारी के और भी कई कारण है। क्योंकि दुनिया इंसानों से बनी है और आज के समय में हर दूसरा इंसान झूठ ही बोलता है। मक्कारी के और भी कारण है जैसे नई-नई तकनीकों का विकास जैसे हमें कपड़े खरीदने हैं। तो हम ऑनलाइन कपड़े मंगवा सकते हैं बाजार जाने की जरूरत नहीं पड़ती। यह मक्कारी नहीं तो और क्या है। जैसे खाना बनाने का मन नहीं है और हम होटल जाकर खा लेते हैं यह मक्कारी नहीं है तो और क्या है। दुनिया में मक्कारी बढ़ती ही जा रही है।
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