नारी तू नारायणी ?
सनातन धर्म के घोर शत्रु धूर्त सैकुड़र व वामपंथियियों के प्रभाव में आकर जो भी भाई बहन यह कहते हैं कि #वेशभूषा" और "#पहनावे" से कुछ नहीं होता, तो इस पर मेरा कहना है कि वे बहुत भोले हैं और दुष्टों ने उन लोगों का दिमाग भ्रमित कर रखा है।
क्योंकि प्राकृतिक सत्य के अनुसार यह मानवीय स्वभाव है कि चाहे स्त्री हो या पुरूष, एक-दूसरे को जितना बिना "आवरण" के देखेंगे मन में कामुकता का प्रभाव उतना ही बढ़ता जाएगा।
संसार के किसी भी प्राणी को प्रभावित करने के लिए रूप, रस, शब्द, गन्ध, स्पर्श ये बहुत प्रभावशाली कारक हैं, इनके प्रभाव से विस्वामित्र जैसे मुनि के मस्तिष्क में विकार पैदा हो गया था। जबकि उन्होने सिर्फ रूप कारक के दर्शन किये ...... आम मनुष्यों की बिसात कहाँ।
दुर्गा शप्तशती के देव्या कवच में श्लोक 38 में भगवती से इन्हीं कारकों से रक्षा करने की प्रार्थना की गई।
#रसे_रुपे_च_गन्धे_च_शब्दे_स्पर्शे_च_योगिनी।
#सत्त्वं_रजस्तमश्चैव_रक्षेन्नारायणी_सदा।।
रस रूप गंध शब्द स्पर्श इन विषयों का अनुभव करते समय योगिनी देवी रक्षा करें तथा सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण की रक्षा नारायणी देवी करें।
अब बताइए, हम भारतीय हिन्दु महिलाओं को "हिन्दु संस्कार" में रहने को समझाएं तो स्त्रियों की कौन-सी "स्वतंत्रता" छीन रहे हैं? और सनातन समाज को मिलजुल कर सबसे पहले ऐसे स्कूलों को ठोंक पीटकर सही करने की आवश्यकता है जो ये अपने स्कूल के कोमल हृदय बालकों को छोटे कपड़ों की डेस निरधारित करते हैं।
संभालिए अपने आप और समाज को, क्योंकि भारतीय समाज और संस्कृति का आधार नारीशक्ति है और धर्म विरोधी, अधर्मी, चांडाल (बॉलीवुड, वामपंथी, इसे मिशनरी) ये हमारे समाज के आधार को तोड़ने का षड्यंत्र कर रहे हैं ।
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