आम चुनाव नजदीक हैं और उसके साथ ही साथ विपक्ष का सत्ता हासिल न कर पाने का डर भी नज़दीक आ रहा है। इस बात में कोई दो राय नही है कि नरेंद्र मोदी विपक्ष को छिन्न-भिन्न करने में सक्षम रहें हैं।
विपक्ष की व्याकुलता कुछ इसलिए भी ज़्यादा है क्यूंकि कुछ पार्टियां इस वक्त अपने आस्तित्व की लड़ाई लड़ रहीं हैं।
इस वक्त डूबते को तिनके का सहारा की भांति सब ही एक दूर के साथ मिलकर एक सशक्त चुनौती पेश करना चाहते हैं।। जैसा कि कुछ ओपिनियन पोल का मानना है कि यु पी में बुआ-बबूआ मिलकर सबकी खटिया खड़ी कर ही देंगे। हालांकि मोदी सरकार को एक और मौका ददन की तरफदारी तो हर कोई ही कर रहा है।इस वक्त मोदीजी को सिर्फ मोदीजी ही हरा सकते हैं।
विपक्ष का इन चुनावों के बाद फिर से बिखर जाना तय है।चुनाव आयोग ने मतदान की तारीखें घोषित कर दी हैं।
अब विपक्ष के पास एक-जुट होकर लड़ने की बजाय और कोई चारा तक नही है।
अब सिर्फ वही नेतागण जिनमे स्वाभिमान थोड़ा सा भी बचा हुआ है, वही इन चुनावों में अपने किये कामों, जनहित प्रयासों और साफ सुथरी शख्सियत को ढाल बनाकर चुनाव लड़ेंगे।
बाकी पूरा विपक्ष मोदी के लिए , उनकी योजनाओं पर भद्दी टिप्पणियां करता रह जायेगा।