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इस बात में कोई शक नहीं कि 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2019 के चुनावी घमासान में पीएम मोदी का जादू फीका हो गया है। जिन वायदों के साथ नरेंद्र मोदी को देश की सत्ता मिली थी, उन वायदों का हाल यह है कि खुद पीएम मोदी और भाजपा उसका जिक्र करने से भी बचती हुई नजर आ रही है।
नरेंद्र मोदी को सत्ता दिलाने में देश के युवाओं की सबसे बड़ी भूमिका थी । नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आते ही प्रत्येक वर्ष 2 करोड़ युवाओं को नौकरी देने की बात कही थी। यह भी कहा गया था कि मोदी के सत्ता में आते ही विदेशों से बड़ी बड़ी कंपनियां भारत में आएंगी और प्राइवेट सेक्टर में भी रोजगार की बौछार आ जाएगी. इनमें से कितनी बात सच हुई , ये सबके सामने है। उपर से नोटबंदी और जीएसटी ने और लोगों का रोजगार छीन लिया पहले से नौकरी कर रहे लाखों लोगों की नौकरी चली गई। विदेशों से निवेश तो आया नहीं, पहले से भी चल रहे कई उद्योग धंधों ने दम तोड़ दिया।
मोदी के वोटर कट्टरवादी विचारधारा से प्रेरित होते हैं। इस मोरचे पर भी मोदी कुछ खास नहीं कर पाएं. अयोध्या में राम मंदिर भी नहीं बन सका। कश्मीर से धारा 370 भी खत्म नहीं हुआ। सरकार वायदों और घोषणाओं से आगे नहीं बढ़ पाई। पीएम मोदी के फिलहाल पाकिस्तान विरोध के अलावा और कोई मुद्दा नहीं बचा, जनता के बीच जाने के। मोदी जनता की नब्ज अच्छे से पहचानते हैं, इसी वजह से उन्होंने खुल कर कहा कि पुलवामा हमले के शहीदों के नाम पर भाजपा को वोट दिजिए।
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