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आज से तीन महीने पूर्व मेरी मुलाकात भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी से पटना से दिल्ली जाने के क्रम में विमान में मुलाकात हुई. वो मेरी बगल की सीट पर थें. सीट बदलने को लेकर मेरी और उनकी हल्की सी बात हुई. बात करने का तरीका बेहद संजीदा था.
इसके बाद समय काटने के लिए हम दोनों के बीच चर्चा का दौर शुरु हुआ. चूंकि माहौल लोकसभा चुनाव का था, इसलिए राजनीति से बेहतर कोई विषय बात करने के लिए हो नहीं सकता था.
बातचीत के दौरान ही पता चला कि वो 2007 बैच के और यूपी कैडर आईएएस हैं. फिलहाल दिल्ली के केंद्रीय सचिवालय में तैनात हैं. उन्होंने देश के युवाओं की मानसिकता पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज का युवा न तो किताब पढ़ रहा है और नहीं इतिहास. उसके ज्ञान का स्त्रोत व्हाट्सएप हो गया है जिस पर 99.99 प्रतिशत फर्जी कंटेट्स चल रहे हैं. एक साजिश के तहत हिंदू मुस्लिम की मानसिकता को उनके अंदर भर दिया गया है.
वहीं उन्हांने कहा कि बेहद घटिया दर्जे का ज्ञान प्राप्त करने वाले इन युवाओं को पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी सिस्टम और प्रेसिडेंशियल सिस्टम डेमोक्रेसी की समझ भी नहीं है, जिस वजह से सिर्फ एक पार्टी को जिताने के लिए ये गलत छवि और गंदे चरित्र के सांसद, विधायक चुन कर सदन में भेज रहे हैं. यही हाल रहा तो भारत अपनी आजादी के 100 साल पूरा करने से पहले गृह युद्ध के उन्माद में फंस कर रह जाएगा.
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