अमृतधारा एक देसी इलाज़ है जो सर्दी खासी जुखाम और बुखार जैसी बीमारियों में काम आता है |
courtesy-JMOS
सामग्री -
अजवाइन सत 5 ग्राम
कपूर सत 5 ग्राम
पुदीना सत 5 ग्राम
(ध्यान रखें की आप ये सभी वस्तुएं ठोस अवस्था में लें और इन्हे मिलाने पर ये तीनो द्रव अवस्था में बदल जाएँ )
अमृतधारा बनाने का तरीका -
— अमृतधारा बनाने के लिए सबसे पहले आप एक काँच की बोतल को गर्म पानी से धोकर अच्छे से सूखा लें।
— उसके बाद अब आप इस साफ बोतल में अजवाईन सत , कपूर सत व पुदीना का सत डालकर ढक्कन टाईट लगा कर बन्द कर दें।
— उसके बाद आप काँच की शीशी में सारा सामान मिलाकर अच्छे से हिला लें।
— उसके बाद आप देखेंगे की थोड़ी देर में सारा सामान पिघल जाएगा ।
— ये लीजिये अब आपका अमृतधारा बनकर बिलकुल तैयार हैं। जब भी उपयोग में लेना हो तो हिलाकर जरूरत के अनुसार कुछ बूंदे काम में ले सकते हैं।
अमृतधारा के फायदें -
— गर्मी के मौसम में अमृत धारा का उपयोगबहुत लाभकारी होता है, इसके उपयोग से लू लगने से बचाव हो सकता है। इसके लिए बाहर जाते समय आधा गिलास पानी में चार बूँद मिलाकर पीना चाहिए।
— आप देखेंगे की हिचकी बन्द नही हो तो एक चीनी पताशा में कम से कम तीन बून्द अमृतधारा डालकर थोड़ी थोड़ी देर से लेने से बिलकुल आराम आ जाता हैं।
— चक्कर आना , जी घबराना , थकान व शरीर से बहुत अधिक पसीना निकलने पर भी अमृत धारा की कुछ बूंदे व एक पिसी इलायची को आधा गिलास पानी में डालकर लेने से बहुत लाभ होता हैं।
— उलटी दस्त होने पर अमृतधारा की पाँच बूंदे एक चम्मच प्याज के रस के साथ दिन में तीन से चार बार लगातार तीन चार दिन तक लेने से आराम आ जाता हैं।
— पेटदर्द , गैस , पेट में भारीपन , दस्त , उलटी आदि में आधा गिलास पानी में चार -पांच बूँदे डालकर लेने लाभ होता हैं।
— जुकाम होने पर एक रुमाल में कुछ बूँदे डालकर थोड़ी थोड़ी देर में सूंघते रहे थोड़ी देर में राहत महसूस होने लगेगी।
— एक कटोरी तिल के तेल में पांच -छः बून्द अमृतधारा डालकर मिला ले। इस तेल को जोड़ो के दर्द व सूजन वाली जगह लगाने से आराम मिलता हैं।
— ततैया , मच्छर , चींटी आदि कीड़ो के काटने वाली जगह पर रुई से लगाने पर सूजन व दर्द में आराम मिल जाता हैं।
— अमृतधारा को नारियल के तेल में मिलाकर स्किन पर लगाने से मच्छर नहीं काटते हैं।