आयुष्मान खुराना को हमेशा से बॉलीवुड में कुछ नया और कुछ अलग करने के लिए जाना जाता है, यही वजह है की उनकी पॉपुलैरिटी हर दिन बढ़ती जा रही है उन्होनें अपने बॉलीवुड सफर में विक्की डोनर, बधाई हो, अंधाधुन और नौटंकी साला जैसी फिल्मों में अभिनय दिखा कर सबको अपना दीवाना बना रखा है |
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इसलिए आज हम उनकी रिलीज़ फिल्म आर्टिकल 15 की बात करने जा रहे है |
भारत का सविधान कहता है की रंग और जाती के आधार पर किसी पर किसी भी तरह का भेद - भाव गुनाह है, और आयुष्मान खुराना की फिल्म आर्टिकल 15 भी इसी मुद्दे पर बेस्ड है जो हमारी सोच को जागरूक करने के लिए हमें बार - बार सोचने पर मज़बूर कर देती है की 2019 में भी हमें caste based differentiation पर बात क्यों करनी पड़ रही है |
अनुभव सिन्हा के निर्देशन में बनी फिल्म आर्टिकल 15 काबिल - ए - तारीफ़ है लेकिन हो सकता है ये लोगों को कबीर सिंह जितनी पसंद ना आएं क्योंकि यहाँ पर किसीको misogynist ya anti feminist जैसा नहीं दिखाया गया है और लोगों के बदलते taste को देख कर ये फिल्म फ्लॉप और बोर से ज्यादा उन्हें कुछ नहीं लगेगी |
अगर फिल्म की कहानी की ओर रूख करें तो आयुष्मान खुराना एक आईपीएस ऑफिसर की भूमिका निभा रहे है जिनकी पहली पोस्टिंग एक गांव में होती है,जहाँ के लोग एक दूसरे के साथ बहुत strange behave करते है क्योंकि वह एक दूसरे को जाती के आधार पर तुलना करते है, और उन्हें उस गांव में सब कुछ बहुत अजीब और आश्चर्यजनक लगता है |
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वही अगर हम अभिनय ओर म्यूजिक की बात करें तो आपको आयुष्मान खुराना की एक्टिंग में पूरा जोश और दम नजर आएगा। उनके अलावा मोहम्मद जीशान अयूब और सयानी गुप्ता का अभिनय भी लाजवाब है | वैसे इस फिल्म में ज्यादा गाने नहीं है लेकिन बैकग्राउंड स्कोर काफी बढ़िया है जो कहानी की पेस को बरकरार रखने में मदद करता है |
हाँ फिल्म की रफ़्तार जरा सी धीमी है उसके बाद भी आपको कही भी disappointment नहीं होगी, और इस वीकेंड अगर आप कबीर सिंह जैसी मूवीज के फैन नहीं है तो आर्टिकल 15 देखने जरूर जाएँ । हमारी तरफ से इस फिल्म को मिलते है 3 .5 स्टार्स |