पत्रकारिता के पतन की कहानी 2014 के बाद से ही शुरू हो गई थी| बस आग में घी डालने का काम बाकी था वह काम भी अब महान पत्रकारों ने पूरा कर दिया है | 2014 के बाद का समय ऐसा समय है जिसमें पत्रकार गोदी मीडिया कहलाने लगा है| धीरे-धीरे लोगों में मीडिया को लेकर मन ही मन में काफी रोष पैदा हो रहा था आज उसी भड़ास को लोगों ने निकाल दिया यह पूरा मामला वाराणसी का हैं| जहां पर आज तक न्यूज़ चैनल की महान एंकर अंजना ओम कश्यप रिपोर्टिंग कर रही थी | और साथ में एबीपी न्यूज़ चैनल का भी एक वरिष्ठ पत्रकार लोगों से सवाल जवाब कर रहा था | वहां पर जमा भीड़ मोदी का दलाल है , मोदी का दलाल है कहकर इन दोनों पत्रकारों को पुकारने लगी और एबीपी न्यूज़ के पत्रकार के साथ धक्का-मुक्की भी हुई लेकिन अंजना ओम कश्यप को लोगों ने घेरकर मोदी का दलाल है,मोदी का दलाल है , कहकर पानी पानी कर दिया | किसी तरह से अंजना को पुलिस वालों ने भीड़ से निकालने का प्रयत्न किया लेकिन भीड़ ने अंजना को कहीं निकलने नहीं दिया और कुछ समय तक मोदी का दलाल है, मोदी का दलाल है, के नारे लगते रहे|
समझने वाली बात यह है कि पैसा सत्ता से यह लोग खाते हैं लेकिन बदनाम हो रही है पूरी पत्रकारिता बिरादरी | यह किस हद तक जायज है की इन पत्रकारों की वजह से पूरी पत्रकारिता बिरादरी को जनता शक की नजर से देखें और दलाल कहना शुरू कर दें अभी तो सिर्फ शुरुआत है वह समय दूर नहीं जब लोग मीडिया का बहिष्कार करने लग जाएंगे और मीडिया को खुले तौर पर दलाल कहना शुरू कर देंगे|
