1947 वह समय था जब भारत और पकिस्तान का बटवारा हुआ था, अगर सकरात्मक तरीके से बताओ तो कहने को तो हमें आज़ादी मिल गयी थी लेकिन, वो आज़ादी भी खून ख़राबें और औरतों की इज़्ज़त छीन कर मिली थी | सोन की चिड़िया कहलाने वाला ये भारत देश उस वक़्त ऐसी त्रासदी का शिकार हुआ था जिससे उभर पाना शायद नामुमकिन सा था | पाकिस्तान बनाने की ज़िद्द जिन्ना ने की थी, जिन्ना की जिद ने पाकिस्तान तो बना लिया लेकिन कुछ इतिहासकारों के अनुसार बाद में जिन्ना भी अपने निर्णय पर काफी दु:खी रहते थे |
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बटवारें के समय नेहरू के समर्थन में कई ऐसे लोग थे ज्न्हे उन पर पूरा भरोसा था ऐसे में इतिहासकार बतातें है की यह भी एक बड़ी वजह है बटवारें के फैसले के वक़्त लोगों ने पंडित नेहरू की बात मानी और उन्हें पूरा - पूरा समर्थन दिया |
1947 में भारत और पकिस्तान के बंटवारे का दंश सबसे ज्यादा महिलाओं ने झेला, शायद उस पीड़ा का कोई अनुमान भी नहीं लगा सकता है | अनुमानगत इस दौरान 75 हजार से एक लाख महिलाओं का अपहरण हत्या और बलात्कार हुआ इतना ही नहीं बल्कि जबरन शादी, गुलामी और जख्म ये सब बंटवारे में औरतों को हिस्से आया |
यह वह वक्त्त था जान इंसानियत मर चुकी थी और केवल हिन्दू मुस्लिम के नाम पर एक दुसरे को लूटा और मारा पीटा जा रहा था यहाँ तक की कई लोगों का मानना था की भारत में मुस्लिम महलाओं के साथ गलत हो रहा है इसलिए पकिस्तान भारत की औरतों को जबरन बंदी बना कर अपनी बीबी बना कर रखते थे |