बैंक को लेकर आय दिन कुछ न कुछ खबरें आती रहती हैं | कभी बैंक में घोटाला हो जाता है और कभी बैंक अपने लोन में वृद्धि कर देती है | जैसा कि एक ख़बर के अनुसार यह पता चला है कि HDFC बैंक ने अपने होम लोन में वृद्धि कर दी है | आज हम बैंकों के विलय अर्थात Fusion की बात कर रहे हैं और साथ ही यह जानते हैं, कि बैंकों में इस तरह के बदलाव उसमें काम करने वाले लोगों को किस प्रकार प्रभावित करेंगे |
बुधवार को, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने imminent किया - विजया बैंक और देना बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विलय को मंजूरी मिली, जो 1 अप्रैल, 2019 से प्रभावी होगी।
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के बाद ही इस तरह का विलय भारत में पहली तरह का है , जो देश का दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का ऋणदाता होगा |
जबकि सरकार ने इस संक्रमण को सुचारू रखने के लिए अच्छी योजना बनाई है, इस परिमाण का विलय हमेशा गड़बड़ी और अनिश्चितताओं में होता है।
वैसे ठीक ही तो है, यह एक साथ तीन बड़े बैंकों को एक साथ जोड़ रहा है, परन्तु इससे खिलवाड़ होना तय है | 7.8 लाख करोड़ रुपये की लोन बुक के साथ, मर्ज किए गए बैंक की 9,475 शाखाएं और 13,544 एटीएम होंगे।
आपके सटीक सवाल पर आते हुए, सरकार ने सभी कर्मचारियों को आश्वस्त किया है कि कोई छंटनी नहीं होगी, और विजया बैंक और देना बैंक के सभी मौजूदा कर्मचारी बैंक ऑफ बड़ौदा का हिस्सा बन जाएंगे, जो कम से कम उन्हीं लाभों का आनंद लेगा जो वर्तमान में अधिक नहीं होने पर करते हैं। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि ट्रांसफ़र और ट्रांसफ़र बैंकों के बोर्ड अपने सभी कर्मचारियों की सद्भावना सुनिश्चित करेंगे।
इसलिए, अभी तक, बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विजया बैंक और देना बैंक के विलय के कारण कर्मचारियों के कार्यकाल और लाभों पर कोई खतरा नहीं है।
हालाँकि, इसका मतलब यह नहीं है कि मामला 1 अप्रैल को आगे बढ़ेगा। लेकिन तब भी जब कर्मचारियों के लिए चीजें खराब हो जाती हैं, उम्मीद है कि बैंक का बोर्ड स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) शुरू करेगा ताकि इसकी उचित सुरक्षा हो सके कर्मचारियों।

(Courtesy : वेबदुनिया )