इंसान खुद को सबसे ज्यादा समझदार समझता है | और अगर वो कोई पढ़ा लिखा हो अर्थात "वेल-एडुकेटेड पर्सन" तो बात ही ख़तम फिर तो उसके सामने हिंदी माध्यम से पढ़ा इंसान कुछ नहीं होता | अक्सर इंग्लिश मीडियम के लोग खुद को बहुत ज्यादा ही समझदार समझते है | सभी ऐसे नहीं होते है पर कुछ लोग जिनको अपनी एजुकेशन मे बहुतघमंड होता वो लोग अक्सर खुद के आगे किसी को नहीं समझते | मेरा ऐसा कहना है की समझदारी इंसान मे होती है उसकी पढाई-लिखाई मे नहीं | पहले समय के लोग पढ़े लिखे नहीं थे पर फिर समझदारी उनमे आज के समय के लोगो से ज्यादा होती थी |
पढाई सिर्फ एक इंसान को सही ज्ञान दे सकती है ,और एक अच्छा भविष्य बनाने का मौका दे सकती है ,परन्तु एक अच्छा इंसान बनने मे इंसान को खुद ही मेहनत करना होगा | जरुरी नहीं पढ़ा -लिखा इंसान समझदार हो ,बेशक वो अच्छा ज्ञान रखता हो पर समझदार हो ये जरुरी नहीं |
कम पढ़े लिखे इंसान या जो बिलकुल एडुकेटेड नहीं है अक्सर उसको लोग जानवर कही का ऐसा कह कर सम्बोधित करते है |
क्या आपको लगता है के इंसान है तो जानवर से अच्छे है | अगर कोई जानवर आवारा घूम रहा है तो उसमे भी इंसान गलत है | इसलिए इंसान से अच्छे जानवर है | क्योकि वो अपने नाम से ही लोगो को बता देते है के उनसे बच कर रहना चाहिए | वो इंसान की तरह तो बिलकुल नहीं है जो जानवर से भी बत्तर होता जा रहा है | जानवर खुद को मानते तो है वो जानवर है परन्तु आज कल के इंसान करते काम जानवरो की तरह है परतु खुद को इंसान कहते है | जो गलत है |