मई उन टिकटोकरो को खाना चाहूंगी की की अब कुछ ढंग का काम क्र लो मुजरा छोड़ के नहीं तो कहि फिर कैर्री मिलती न पूछने लगे कैसे हो आप लोग फिर मुजरा करोगे तो अब 10 रूपये में भी कोई नहीं खरीदेगा 200 की तो बात ही छोड़ दो मुजरा करने वालो और है एक कौन है फैजु उससे कहना चाहूंगी की तुम अपनी पंचर की दुकान खोल लो