प्रेग्नेंट होना किसी भी महिला के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण फैसले में से एक होता है। क्योंकि सही समय पर गर्भधारण करना जिंदगी का अहम फैसला होता है। इस समय महिलाओं के लिए डॉ अलग - अलग तरीके के रूल को फॉलो करने के लिए भी कहते है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, सही उम्र में गर्भधारण करने से महिलाओं के लिए जहां हेल्दी प्रेगनेंसी और नेचुरल चाइल्डबर्थ की संभावना अधिक बढ़ जाती है वहीं, गर्भधारण करने से पहले पूर्ण योजना बनानी पड़ती है।अगर एक महिला के नज़र से देखा जाये तो यह कोई आसान काम नहीं होता है। ऐसा माना जाता है कोई भी महिला पूरे महीने में कभी भी गर्भवती नहीं होती है बल्कि कुछ दिन विशेष होते हैं, जिनपर कंसीव करने में आसानी होती है। महिलाओं का मासिक चक्र 26 से लेकर 36 दिनों का होता है और उन्हीं दिनों में गर्भवती होनी की संभावना सबसे ज्यादा रहती है, हालांकि ये उनके मासिक चक्र की लंबाई पर निर्भर करता है।
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महिला के अंडाशय से अंडे के बाहर निकलने को ओवुलेशन कहा जाता है। ओवुलेशन पीरियड में इस प्रक्रिया से महिला हर महीने गुजरती है। महिला के शरीर से निकले अंडे इस पीरियड में पुरुष के वीर्य से मिलने के लिए तैयार होते हैं। यही वो समय है जब महिला का शरीर सबसे ज्यादा फर्टिलाइज होता है, यानी इस दौरान संभोग करने से आसानी से गर्भधारण कर सकती हैं। अगर महिला मां नहीं बनना चाहती है तो इस दौरान संभोग न करने से गर्भधारण से बचा जा सकता है। प्रेग्नेंट होने के लिए ओवुलेशन पीरियड का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है, क्योंकि भिन्न महिलाओं के लिए यह समय अलग-अलग होता है।
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महिलाएं ओवुलेशन के लक्षणों को भी समझ सकती हैं। इस समय वेजाइनल डिस्चार्ज पर भी ध्यान दें। योनि से निकलने वाला तरल गाढ़ा हो जाता है और सामान्य से अधिक चिपचिपा रहता है। साथ ही महिला के शरीर का तापमान बढ़ जाता है। कुछ महिलाओं को ओवुलेशन के समय पेट के नीचे हल्का दर्द होता है जो कि कुछ मिनट या घंटों रह सकता है। महिलाएं ओवुलेशन प्रेडिक्टर किट की मदद भी ले सकती हैं।