भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहा हुई थी? - letsdiskuss
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komal Solanki

Blogger | पोस्ट किया | शिक्षा


भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहा हुई थी?


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भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति वट वृक्ष के नीचे प्राप्त की गई थी और इनका जन्मदिन बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था इन्होंने 27वर्ष की आयु मे अपने घर कोई छोड़ दिया था और सन्यास ग्रहण कर लिया। और ये बौद्ध धर्म ग्रंथो का भी पाठ किया है तथा वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हें बोधगया मे बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के दिन से जाना जाता है.।Letsdiskuss


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चलिए हम आपको बताते हैं कि भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहां हुई थी भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति एक वट वृक्ष के नीचे हुई थी वर्षों की कठोर साधना करने के बाद बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। तभी से सिद्धार्थ गौतम गौतम बुद्ध बन गए थे। हम आपको बता दें कि गौतम बुद्ध का जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था तथा इनका बचपन का नाम सिद्धार्थ गौतम था और उन्होंने 27 वर्ष की उम्र में अपने घर का त्याग कर दिया था। हम आपको बता दें कि गौतम बुद्ध 4 सप्ताह बोधि वृक्ष के नीचे रहे थे।Letsdiskuss


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गौतम बुद्धबौद्ध धर्म के प्रवर्तक थे। इनका जीवन सभी के लिए प्रेरणा दायक है। गौतम बुद्ध के जन्म का नाम सिद्धार्थ था। वह बचपन से ही साहसी और ज्ञानी थे। उनका जन्म गणराज्य की राजधानी कपिल वस्तु के पास लुंबिनी में हुआ था। गौतम बुद्ध को लेकर एक भविष्यवाणी के कारण उनके पिता ने उन्हे राजमहल में ही रखा। उनको तपस्वी बनने से रोकने के लिए उनके पिता ने कई उपाय किये। बहुत दयालु थे ।उनसे किसी का दर्द देखा नही जाता था ।

घर के अंदर बंद गौतम के मन मे कई प्रश्न उठते थे। उनके पिता ने उनके मनोरंजन के सभी इंतेजाम महल में ही करवा दिये थे फिर उनका विवाह योशोधरा से करवा दिया था। उनका एक पुत्र भी था जिसका नाम उन्होंने राहुल रखा था।

इतना सब होने के पश्चात् भी गौतम खुश नही थे । उन्होंने अपना सांसारिक मोह छोड़ घर से चले गए।

गौतम बुद्ध ने कई वर्षो तक कठोर तपस्या की। लेकिन कोई परिणाम नही निकला। जब गौतम 35 वर्ष के हुए तब एक दिन वह एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर तपस्या कर रहे थे। यह पीपल का पेड़ बिहार के गया जिले में स्थित है। पीपल के वक्ष के नीचे गौतम को रात्रि में भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ। इसक बाद इस वृक्ष को बोधिवृक्ष के नाम से जाना जाने लगा।

कहा जाता हैं कि इस बोधिवृक्ष को कई बार नष्ट करने का प्रयास किया गया लेकिन यह हमेशा की तरह फिर से उग जाता है।

यह पेड़ पीढी दर पीढी हर बार नई शाखा के साथ उग जाता है । इस पेड़ की चौथी पीढ़ी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और विदिशा के बीच सलामतपुर की पहाड़ी में मौजूद है। इसकी रखवाली और सुरक्षा के लिए 24 घंटे पुलिस तैनात रहती है। इस वृक्ष की देखरेख मे हर साल लगभग 12 -14 लाख रुपये खर्च होते है।

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