नवरात्री के आठवें दिन महागौरी का पूजन होता है । माता महागौरी की उम्र आठ साल की मानी गई है। महागौरी का श्रृंगार सफेद हैं इसलिए इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है। माता की 4 भुजाएं हैं और उनका वृषभ वाहन है इसीलिए इनको वृषारूढ़ा भी कहते हैं । चार भुजाओं में से उनकी दायीं भुजा अभय मुद्रा और नीचे वाली भुजा में त्रिशूल विराजमान है । बायीं भुजा में डमरू और नीचे वाली भुजा से महागौरी अपने भक्तों को वरदान देती हुई नज़र आती हैं । महागौरी की आराधना जो भी महिला सच्चे मन से करती है, माता उनके सुहाग को अभय वरदान देती हैं और कुंवारी लड़कियों द्वारा महागौरी का पूजन उन्हें योग्य पति प्राप्त करवाता है । पुरुषों द्वारा महागौरी के पूजन का फल उनके जीवन को सुखी बनाता है और उनके पापों को नष्ट करता है । माता महागौरी का श्रृंगार मोरपंखी रंग से करें और उनका पूजन करने के लिए उनके भक्त गुलाबी रंग पहने यह बहुत ही शुभ होता है । महागौरी को नारियल का भोग अत्यंत पसंद है ।
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