कहते हैं कि रोज जूस पीना सेहत के लिए अच्छा होता है इसके कई फायदें होते है। पहले जमाने में तो लोगों को सिर्फ मशीन वाला फ्रेश जूस पीना पसंद होता था, लेकिन अब कई सालों से देखा जा रहा है कि मार्किट में फ्रेश जूस के साथ पैकेट वाला जूस भी मिलने लगा है। जिसे लोग ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन इन दोनों ही तरह के जूसों में कितना फर्क होता है हम इस बात को नहीं जानते है |
वही फिटनेस एक्सपर्ट शबनम पाल बताती हैं कि जूस पीना एक तरफ जहां शरीर के बल को बरकरार रखता है, वहीं ये बॉडी को डिटोक्स करने में भी मदद करता है। इसके अलावा द जूस क्लीन्ज रीसेट डाइट के ऑथर्स का कहना है कि जूस सिर्फ बॉडी से टॉक्सिन या एसिडिटी को ही नहीं बल्कि ये किसी भी चीज को खा लेने की इच्छा को भी खत्म करता है। साथ ही वेट और हेल्थ दोनों ही चीजों को मेनटेन रखता है। यहाँ तक की यह बीमारियों में रोगों से लड़ने की क्षमता भी रखता है |
जूस का सही मतलब होता है
खाने में जूस शामिल करने का मतलब ये नहीं कि एक ही बार में पूरा जग या पूरा कारटन जूस पीया जाए, बल्कि इसे पीने का मतलब शरीर से जहरीले टॉक्सिन निकालना है। साथ ही बाजार का खाना खा लेने के बाद बॉडी के बैलेन्स को वापस लाना और एर्न्जिटिक रखना है।
कई स्टडीज ऐसी हैं जिन्होंने इस बात को माना है कि फ्रेश जूस में चीनी की मात्रा ज्यादा होती है, जैसे ब्रिटिश मैडिकल जॉर्नल के मुताबिक नेचरल जूस डाएबटीज की बीमारी को बड़ावा देता है।
पैकेट वाला जूस
आजकल लोग खाने के साथ पैकेट वाला जूस पीना पसंद कर रहे हैं। हालांकि ये काफी मेहंगे आते हैं फिर भी लोग इसे पीते हैं। पैकेट वाले जूस को निकालने में ज्यादा प्रेशर का इस्तेमाल करना पड़ता है। साथ ही इसकी मात्रा भी फ्रेश जूस से काफी होती है। इनका रेट इसलिए अधिक होता है, क्योंकि ये एक साथ कई किलो फ्रूट्स से निकाला जाता है। रही बात इन्हें स्टोर करके रखने की तो ये इसलिए मेहंगे होते हैं, क्योंकि इनकी हर बॉटल को हाई प्रेशर प्रोसेस (एच. पी. पी.) से करीब 80 सेकंड के लिए होकर गुजरना पड़ता है। एक तो ये पैकेट वाले जूस में पैथोजन्स को होने से रोकता है। दूसरा ये जूस को सिर्फ कुछ दिन के लिए ही नहीं, बल्कि कई हफ्तों तक खराब होने से बचाता है। यही वजह है कुछ लोग पैकेट वाला जूस पसंद करते है |