दिल्ली कांड में सरकार या मोलवियो की गलती देखने के अलावा आपको दिल्ली पुलिस की लापरवाही को देखना चाहिए. उस वक्त देश के हालात कोरोना पॉजिटिव की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही थी.लगभग 1300 के आसपास क्रोना के पॉजिटिव मरीज सामने आ चुके थे. अचानक ही एक मुस्लिम संस्था तबलीगी जमात चर्चा में आ जाती है. सरकार अपना काम कर रही थी और मौलवी अपना काम कर रहे थे. ऐसा तो नहीं था कि मौलवियों की कोई चाल थी कि कोरोना मरीजों की संख्या देश में बढायी जाए. जिस वक्त लॉक डाउन का ऐलान किया गया उस वक्त मरकज में पहले से ही जो कार्यक्रम चल रहा था वहां पर लोग उपस्थित थे. लगभग 150 से ज्यादा देशों के विदेशी नागरिक कार्यक्रम में उपस्थित थे क्रोना का संक्रमण विदेशों से आए लोगों की वजह से ही फेला था.
सबसे पहले सवाल यह उठता है कि 150 देशों के नागरिक जब भारत में आए तो भारत सरकार ने हवाई अड्डे पर क्यों नहीं सुरक्षा को बढ़ाया.जबकि सरकार को पता था कि कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है तो हवाई अड्डे पर ही उन विदेशी नागरिकों की चेकिंग क्यों नहीं करवाई सबसे पहला सवाल तो यही सरकार से पूछना चाहिए था.
दूसरा सवाल यहां पर यह उठता है कि जब विदेशों के नागरिक और भारत के नागरिक मरकज में इकट्ठा हो ही गए थे तो पुलिस वालों का फर्ज बनता है कि इस बात की पूरी सूचना गृह मंत्रालय को देना चाहिए था मगर पता नहीं पुलिस किस बात का इंतजार कर रही थी यह भी एक रिसर्च का विषय बना हुआ है.
माना जाए तो दिल्ली कांड की गलती ना ही सरकार की है और ना ही मोलवीयो की है क्योंकि सरकार ने लोकडाउन करके अपना काम खत्म कर दिया था और सारा मामला पुलिस पर छोड़ दिया था. मौलवियों ने भी सरकार की सारी बात मानते हुए सभी को वहीं पर रहने के लिए बोल दिया यानी कि कार्यक्रम में सभी को कहा कि यहीं पर रुक जाए कहीं मत जाइए क्योंकि प्रधानमंत्री का आदेश है.
अगर इसमें दोष देना भी है तो दिल्ली पुलिस का देना चाहिए दिल्ली पुलिस को मरकज ने बार-बार तलब किया था कि उसके पास बहुत संख्या में लोग मौजूद है मगर दिल्ली पुलिस ने इस बात की जानकारी ना ही गृह मंत्रालय को दी और ना ही दिल्ली सरकार को दी. निजामुद्दीन के एसएचओ ने हद ही पार कर दी थी उसने इस मामले को अपने पास संभाले रखा. नोटिस दिए गए कि मरकज को खाली करवाया जाए. नोटिस का जवाब मरकज वाले भी देते गए मगर निजामुद्दीन पुलिस की लापरवाही की वजह से हालात बिगड गए.
पुलिस को पता था कि यहां पर बहुत से देशों के लोग आकर रुके हुए हैं और यहां पर कार्यक्रम हर साल चलता ही है तो पुलिस ने क्यों नहीं जरूरी कदम उठाया, क्यों नहीं मरकज के इलाके को सील कर दिया, क्यों नहीं जो लोग वहां पर थे वहीं पर रुकने दिया, कहीं ना कहीं इस पूरे मामले में पुलिस की लापरवाही उभर कर सामने आ रही है ऐसा मानना है कि इस मामले का पूरा कसूर दिल्ली पुलिस को ही जाता है क्योंकि उन्हीं के ढीलेपन की वजह से आज मरकज के सभी लोग पूरे देश में फैल चुके हैं जिस वजह से संक्रमित संख्या बढ़ चुकी है अगर मरकज में मौजूद लोगों को वहीं पर रोककर उनका मेडिकल चेकअप किया जाता तो आज शायद देश में मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा नहीं बढ़ती जितनी बढ़ चुकी है.