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Brij Gupta

Optician | पोस्ट किया |


साल 2019 के चुनावी दाव-पेंच से कौन ज्यादा प्रभावित होने वाला है ?


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Blogger | पोस्ट किया


वर्तमान सरकार का कार्यकाल 2019 मे खतम होनेवाला है और सारे राजकिय पक्ष अपनी चुनावी गतिविधियां तेज कर रहे है। ये कहना बहुत ही मुश्कील होता है कि इस बार कौन सा पक्ष विजयी होगा, क्युंकी मतदाताओ के मन का आकलन करने में बडे-बडे राजकिय पंडीत भी गलत साबित हुए है। हालांकी वर्तमान गतिविधियों को देखकर कुछ अंदाज जरुर लगाया जा सकता है। आइये जानते है विविध पार्टीयां और उन की चुनाव के मद्दे स्थीती:


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सौजन्य: समाचार नामा


भाजपा: पिछले चुनाव में विजयी रही, ये पार्टी इस बार स्थीती को निपटने के लिये हर मुमकीन कोशीश करती दीख रही है। पिछले ३ दशक में ये पार्टी एक बडी पार्टी के तौर पर सामने आइ है और 2014 में पावर में भी आइ । हालांकी इस के कुछ एक्शन जनता को नाराज करने में सफ़ल हुए है और इसी के परीणाम स्वरूप उस ने विधान सभा के इलेक्शन में मुंह की खाइ है। इस पक्ष में काफ़ी स्पोर्ट्स पर्सनालिटी एवं फ़िल्म स्टार भी शामिल है और उम्मीद जताइ जा रही है कि फ़िर से एक बार 2019 के इलेक्शन के परीणाम स्वरूप ये पक्ष सत्ता में वापिस आयेगा । राजकिय पंडीतो की मानी जाये तो ये पार्टी मजबुत जरुर है और वापिस सत्ता पा सकती है पर बहुमत नही मिलेगा और इसे गठबंधन को ही हथियार बनाना पडेगा।

कांग्रेस: यह पार्टी वर्तमान राजकिय पार्टीयों में सबसे पुरानी कही जा सकती है। पिछले इलेक्शन 2014 में उसका प्रदर्शन बहुत ही निम्न हुआ था जिससे सबक लेकर पक्ष में काफ़ी फ़ेरबदल किये गये है। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा के इलेक्शन में इस पक्ष ने काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया है और उसीके चलते उस की 2019 के लोकसभा के चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन होने की उम्मीद जगी है। ये पार्टी गठबंधन में भी विश्वास रखती है और इसी के चलते इस के सत्ता पाने के चांसीस ज्यादा दीख रहे है।

प्रादेशीक पार्टीयां: प्रादेशीक पार्टीयां भी अपने अपने क्षेत्र में अच्छा प्रभाव रखती है और उसे नजरअंदाज नही किया जा सकता। इन पार्टीयों में हाल ही में सपा और बसपा ने साथ मिलकर 2019 का चुनाव लडने का ऐलान किया है। शिवसेना महाराष्ट्र में, टीएमसी बंगाल मे, जनता दल ओडीशा में, डीएमके और एआइएडीएमके तमिलनाडु में एवं नेशनल कांफ़रंस कश्मीर में अच्छा प्रदर्शन कर सकते है और राष्ट्रीय पक्षो के साथ जुडकर सत्ता में साथ दे सकते है।

इस वक्त यह कहना बडा कठीन है की कौन सी पार्टी सत्ता में आयेगी क्युंकी मतदाता के मन को जानना बडा ही मुश्कील होता है। हालांकी सारी पार्टीयां अभी तो अपनी जोर आझमाइश पर उतारु हो गई है।





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