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आज यहां पर सवाल पूछा गया है कि आखिर परिजात के फूल रात के समय क्यों रोते हैं। तो चलिए जाने की कोशिश करते हैं कि आखिर परिजात के फूल कि रोने के पीछे का कारण क्या है। कहा जाता है कि जिस स्थान पर परिजात की समाधि बनाई गई थी और उस स्थान पर यह वृक्ष उग गया था तभी से इस वृक्ष का नाम परिजात पड़ गया था तथा लोगों का कहना है कि यही कारण है कि रात के समय परिजात का वृक्ष देखने से लगता है कि जैसे रो रहा है।और सूरज की रोशनी में परिजात का पेड़ खिलखिला उठता है।
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चलिए दोस्तों आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर पराजित के फूल रात के समय रोते क्यों हैं।कहा जाता है की जिस स्थान पर परिजात की समाधि बनाई गई थी। उसी स्थान पर यह वृक्ष अपने आप उग गया था तभी से इस वृक्ष का नाम परिजात पड़ गया था तथी से लोगों का कहना है कि इसी कारण है कि वजह से रात के समय परिजात के वृक्ष रोते है। पराजित फूलों का उपयोग घर में लक्ष्मी पूजा मे किया जाता है लेकिन उन्हीं फूलों का इस्तेमाल किया जाता है जो पेड़ से अपने आप टूट कर नीचे गिर जाते हैं। और ये फूल रात के समय खिलते हैं और सुबह होते ही मुरझा जाते हैं।
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