अहोई अष्टमी व्रत का क्या महत्व है ?

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| Updated on October 31, 2018 | Astrology

अहोई अष्टमी व्रत का क्या महत्व है ?

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@kanchansharma3716 | Posted on October 31, 2018

अभी कुछ दिन पहले करवा चौथ व्रत था जो की कृष्णा पक्ष की चतुर्थी को आता है | जैसा की सभी जानते हैं, करवाचौथ का व्रत हर सुहागन अपने पति की लंबी उम्र के लिए लेती हैं | आज अहोई व्रत है | यह व्रत करवाचौथ के 3 दिन बाद कृष्णा पक्ष की अष्टमी को आता है | यह व्रत हर औरत अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए लेती है | वैसे मान्यता तो यह कहती है, यह व्रत केवल लड़कों के लिए लिया जाता है, परन्तु आज के समय में यह व्रत सभी माँ लेती हैं, चाहे वो बेटी हो या बेटा | अहोई माता और कोई नहीं शंकर जी की पत्नी पार्वती जी ही है |

अहोई व्रत पूजा विधि :-
- इस व्रत में सुबह जल्दी उठ कर स्नान कर के साफ़ वस्त्र पहने और भगवान के आगे दिया जला कर व्रत का संकल्प लें |

- अपने पूजा के स्थान की दीवार पर गेरू और चावल से अहोई माता और उनके सात पुत्रों की तस्वीर बनाएं | अगर आप तस्वीर बनाने में किसी कारण से सक्षम नहीं तो आप बाजार से फोटो खरीद सकती हैं |

- अहोई माता की जहां आप तस्वीर बनाते हैं, या फोटो लगाई है, उनके सामने एक कलश में चावल भरकर रखें और इसके साथ आप पानी वाला कोई भी फल जरूर रखें | जैसे - मूली, कच्चा सिंघाड़ा |

- लाल फूल, माला , लाल सिंदूर चढ़ाएं | अब आप घी का दिया जलाएं, और एक कलश में जल भर कर रखें और उसके ऊपर करवाचौथ में प्रयोग किया जाने वाला मिट्टी का कलश रखें |

- अब हाथ में चावल रखें और अहोई माता की कथा पढ़ें या सुने | जैसे ही कथा ख़त्म हो जाएं तो हाथ में लिए हुए चावल को दुपट्टे या साड़ी के पल्ले में बाँध लें |

- शाम को अहोई माता की एक बार फिर पूजा करें, भोग लगायें, लाल रंग के फूल चढ़ाएं और कथा पढ़कर आरती करें |

- तारों को जल चढ़ाएं, जो जल मिट्ठी के कलश के नीचे जल से भरा हुआ कलश रखा था उसी जल को चढ़ाना हैं, और पूरा नहीं थोड़ा जल दिवाली के दिन के लिए बचा लेना ताकि आप अपने घर में उस जल को छिड़क सकें |

- पूजा के बाद प्रसाद लें और इस तरह अपना व्रत पूरा करें |

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