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साइकिल का इतिहास बताओं ?

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| Updated on October 24, 2019 | science-and-technology

साइकिल का इतिहास बताओं ?

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@ramjitakediya9373 | Posted on October 24, 2019

भले ही आज सड़कों पर बड़ी बड़ी गाड़ियां बाइक और टैक्सी नज़र आते हो मगर एक वक़्त था जब साइकिल एक आम आदमी के यातायात का साधन हुआ करती थी और हमेशा से साइकिल का इतिहास बड़ा ख़ास रहा हैं | यह एक ऐसा वाहन हैं जिसे चलाने से ना तो कोई प्रदुषण होता हैं या यह रखने के लिए आपको बड़ी सी पार्किंग की जरुरत हैं | तो चलिए आपको बताते हैं के साइकिल का क्या इतिहास रहा हैं |


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साइकिल Bicycle का आविष्कार Invention एक लुहार ने किया था जिसका नाम किर्कपैट्रिक मैकमिलन (Kirkpatrick Macmillan) जो के स्कॉटलैंड का रहने वाला था। वैसे भी स्कॉटलैंड में साइकिल को बहुत महत्व दिया जाता हैं |

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ऐसा नही है कि इससे पहले साइकिल का अस्तित्व नही था लेकिन साइकिल को आगे बढ़ाने के लिए पैरो से जमीन को पीछे धकेला जाता था। किर्कपैट्रिक ने ऐसी व्यवस्था की जिससे साइकिल को पैरों के Effort से चलाया जा सके।
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अगर हम भारत में इसके इतिहास की बात करे तो यह आजादी के बाद से 90 के दशक तक भारतीय लोगो मे प्रचलित हुआ | यह मुख्य व्यापारिक और व्यक्तिगत साधन थी जो हर क्षेत्र में इस्तेमाल होती थी। चाहे वो घर घर जाकर दूध बेचना हो या फिर डाकिये का डाक बाटना हो। इसका इतना लोकप्रिय होने का मुख्य कारण इसका किफायती होना था इतना ही नहीं बल्कि 1990 में देश मे आर्थिक उदारीकरण (Economic लिब्रलाइजेशन) का दौर था और इसी दौर में भारत मे मोटरसाईकिल Motorcycle का प्रवेश हुआ।



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@shashikumar9252 | Posted on November 12, 2019

1839 में सोकोटिश व्यक्ति स्कॉट्समैन किर्कपत्रिक मैमिल्लन वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने साइकिल में पेडल लगाने की बात सोची। उस समय इनके पास इस बदलाव का पेटेंट भी नहीं था जिसके लिए इन्हे हर्जाना भी भुगतना पड़ा था। मगर अब साइकिल में पेडल लगने शुरू हो गए थे।

1866 में साइकिल में एक और बदलाव किया गया इस बदलाव में साइकिल को अधिक गतिमान बनाने के लिए इसके आगे वाले पहिये को अधिक बड़ा कर दिया गया और इसका आकार कुछ ऐसा था जिसमे चालक बैठ भी नहीं सकता था। आप यह जान के हैरान हो जायेंगे की इस साइकिल का आगे का पहिया 5 फुट का था। वेलोसिपेडे एक बहुत अमीर व्यक्ति थे जिन्होंने इस आविष्कार को बढ़ाने में उस समय बहुत पैसा लगाया।

यह बदलाव इतना सफल नहीं हुआ क्योँकि इस साइकिल को चलाने में चालक को बहुत कठिनाई का अनुभव होता था। चलाने से ज्यादा इस साइकिल को रोकने में ज्यादा तकलीफ होती थी क्योंकि उस समय साइकिल में ब्रेक नहीं थे।

उस समय लोगों को साइकिल चलाते समय गंभीर चोटें भी आ जाती थी जो की एक आम सी बात हो गयी थी। 1895 में जॉन केम्प स्टारले द्वारा निर्मित साइकिल में इन सभी बातों का ख्याल रखा गया था और यह बिलकुल अलग डिज़ाइन था जो लोगों ने पहले नहीं देखा था। आज के इस दौर में यह बातें कुछ अजीब सी लगती हैं लेकिन एक समय था जब लोग इन सामान्य सी दिखने वाली चीज़ों के लिए भी बहुत श्रम करते थे।

कहते हैं ना आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है उसी प्रकार यहाँ भी हुआ, लोगों को जिस प्रकार असुविधा होती गयी इस प्रयोग में भी सुधार होता चला गया।

उम्मीद है जागरूक पर साइकिल का इतिहास कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।

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