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चलिए मैं आपको बताती हूं कि देवी सरस्वती का जन्म कैसे हुआ था:-
वसंत पंचमी यानी कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को माता सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी। इसी कारण वसंत पंचमी के अवसर पर सरस्वती पूजा करते हैं। इस शुभ दिन, माता लक्ष्मी को उनके प्रिय भोग अर्पित करके आप करियर या शिक्षा प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
ऐसी मान्यता है की मां सरस्वती ने ही इस सृष्टि को वाणी प्रदान की थी। उनसे ही ज्ञान का प्रकाश सभी मनुष्यों को प्राप्त हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना का कार्य संपन्न कर दिया तो उन्होंने पाया कि सृष्टि में तो सब कुछ है लेकिन सब मूक, शांत और नीरस है। तब उन्होंने अपनी कमंडल से जल निकाला और छिड़क दिया जिस मां सरस्वती वहां पर प्रकट हो गई। उन्होंने अपने हाथों में वीणा,माला और पुस्तक धारण कर रखा था। मां सरस्वती ने अपनी वाणी से वसंत राग छेड़ा इसके फल स्वरुप सृष्टि को वाणी और संगीत की प्राप्ति हुई।
चलिए हम आपको बताते हैं कि आप वसंत पंचमी के दिन किन उपायों को अपना कर मां सरस्वती को प्रसन्न कर सकते हैं :-
वसंत पंचमी के दिन आप मां सरस्वती को बूँदी, बेसन के लड्डू,केसर भात, और पीले चावल का भोग लगा सकते हैं। इससे देवी सरस्वती प्रसन्न होती है और भक्तों को शिक्षा, प्रतियोगिता कल और संगीत के क्षेत्र में सफलता प्रदान करती हैं।
इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनने और गरीब बच्चों को कॉपी, किताब,पेन,पेंसिल आदि का दान करने से माता सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है।
जिन बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है तू वह बसंत पंचमी को माता सरस्वती के हरे रंग वाले फल और पीले फूल माता सरस्वती को अर्पित करने को कहे, इससे बुध ग्रह सही होगा और समस्या दूर होगी।
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