इस लाकडाउन में अगर सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी है प्रवासी लोग भुखमरी,आर्थिक तंगी से तंग आकर पैदल ही कई हजार किलोमीटर का सफर तय करने के लिए मजबूर हो चुके हैं मगर सरकार को तब भी समझ में नहीं आ रहा.20 लाख करोड़ का पैकेज का ऐलान कर दिया जाता है मगर किसी के पल्ले कुछ नहीं पडा.
इसी बीच राहुल गांधी मजदूरों की हक की बात करते हुए कहते हैं कि आज हमारे लोगों को पैसे की जरूरत है.प्रधानमंत्री को इस पैकेज के बारे में दोबारा सोचना चाहिए. मोदीजी आपको डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के बारे में विचार करना चाहिएइस समय जरूरत है कि पैसा लोगों की जेब में पहुंचाया जाए, ताकि डिमांड बढ़ाई जा सके और लोगों को इस वक्त लोन की जरूरत न पड़े. इनकी यह कहीं बात आज के समय में जिस वक्त की हालात चल रहे हैं क्या गलत है इस बात का कोई गलत नहीं ठहरा सकता है.
राहुल गांधी जो कहना चाह रहे थे इसको आप इस नजरिए से भी समझ सकते हैं इस वक्त के हालातों को देखते हुए लोगों को कैश की आवश्यकता है ना कि लोन की. कई एक्सपर्ट्स का कहना था कि 20 लाख करोड को अगर हम पूरे भारत में लोगों को कैश ट्रांसफर करते तो प्रत्येक व्यक्ति को 15000 मिलते. देश में 130 करोड़ की आबादी है.
तालाबंदी की वजह से परेशानी झेल रहे लोग अपनी जिंदगी को कुछ हद तक पटरी पर ला सके और 2 महीने तक बैठ कर खा सकें.इतनी ज्यादा रकम थी चाहते तो कुछ नहीं 70 करोड़ लोगों को कैश रुपया दे देते. 50 करोड लोगों का पैसा बचता उससे भी देश के कई काम हो जाते हैं मगर ज्यादा जरूरी जो था लोगों को तुरंत कैश उपलब्ध करवाना था.हमारी सरकार के पास भाषण देने के अलावा कोई दूसरा काम नहीं बचा है भाषण जितना मर्जी दिलवा लीजिए,पेट भाषण सही भर देंगे.