आज क़े वर्तमान समय में भगवान की मूर्ति किसी भी दोस्त क़ो गिफ्ट करने का ट्रेंड चला है। आज कल किसी का बर्थडे, एनिवर्सरी या किसी त्यौहार पर एक-दूसरे को भगवान की मूर्ति गिफ्ट करना ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान की मूर्ति किसी को गिफ्ट देना सही है या गलत? इस बारे में सभी लोगों की राय अलग-अलग होती है,लेकिन वृंदावन के प्रसिद्ध संत स्वामी प्रेमानंद महाराज ने अपने प्रवचन में इस बारे में अपने विचार प्रस्तुत किया हैं। भगवान की मूर्ति गिफ्ट करने क़े लिए प्रेमानंद महाराज का कहना है, कि भगवान की मूर्ति किसी को भी गिफ्ट नहीं देना चाहिए और यदि आपको कोई भगवान की मूर्ति गिफ्ट कर रहा है, तो आपको भगवान की मूर्ति गिफ्ट में नहीं लेना चाहिए। इसके साथ ही प्रेमानंद महाराज ने कहा कि यदि मुझे कोई भगवान की मूर्ति गिफ्ट देते है तो वह नहीं लेते है।
प्रेमानंद महाराज कहना हैं कि यदि कोई आपको भगवान की मूर्ति गिफ्ट करता है, तो आप भगवान क़े दर्शन करें और भगवान क़ो प्रणाम करें, इसके बाद भगवान की मूर्ति को उस व्यक्ति क़ो वापस लौटा दें। प्रेमानंद महाराज का कहना है कि पूरे भक्तिभाव के साथ सेवा नहीं कर सकते है, तो फिर एक और मूर्ति को विराजमान न करें।प्रेमानंद महाराज कहना है कि भगवान की मूर्ति शो पीस नहीं होती है, जो हम जितनी चाहे उतनी घर पर अपनी मर्जी क़े अनुसार रख सके। प्रेमानंद महराज कहना है कि घर में उतने ही ठाकुर जी मूर्ति रखे, जितनी आप भक्तिभाव क़े साथ सेवा कर सके।
प्रेमानंद महाराज कहना हैं कि हमें गिफ्ट में भगवान की मूर्ति इसलिए नहीं लेना चाहिए क्योंकि हमारे घर में पहले से कई सारे भगवान मंदिर में मौजूद होते है। जिस कारण से हम नए भगवान की पूजा अच्छे से नहीं कर पाते है, इसलिए भगवान की मूर्ति आपको गिफ्ट दे, तो उस व्यक्ति से आप माफ़ी मांगते हुए मूर्ति वापस कर दे।
Loading image...