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आज मैं यहां पर आपको मृत्यु भोज पर अपनी राय बताना चाहती हूं। कि हमें मृत्यु भोज करना चाहिए या नहीं करना चाहिए। मृत्यु भोज की परंपरा तो सदियों से चली आ रही है। लेकिन आज के समय में ऐसे बहुत से लोग हैं जो इस परंपरा के खिलाफ हैं उनका कहना है कि मृत्यु भोज नहीं करना चाहिए। तो मैं उन लोगों से कहना चाहती हूं कि मृत्यु भोज की परंपरा तो हमारे दादा परदादा ने चलाई थी क्योंकि वह हमसे ज्यादा समझदार रहते थे इसलिए मेरा कहना है कि मृत्यु भोज करना कोई गलत बात नहीं है बल्कि यह एक पुण्य का काम है।
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दोस्तों आज हम इस पोस्ट में मृत्यु भोज के बारे में बात करेंगे समाज में कई सालों से चली आ रही एक ऐसी परंपरा या प्रथा है कि परिवारिक सदस्य की मृत्यु के उपरांत परिवार के द्वारा समाज को मृत्युभोज करवाना ही होता है इस मृत्यु भोज में सभी जाति के लोगों को भोजन करवाया जाता है पुराने समय में ऐसा ही होता आ रहा है इस तरह से यह प्रथा अभी भी चलती आ रही है जिस परिवार में मृत्यु होती है उस परिवार को 12 दिन के बाद मृत्यु भोजन समाज को करवाना पड़ता है।
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