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उत्तर-प्रदेश में फिल्म-सिटी से इस क्षेत्र के विकास की अपार संभावनायें मौज़ूद हैं, इसमें कोई शक नहीं। क्योंकि इससे केवल यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत के फिल्म क्षेत्र के लोगों को मुंबई के बॉलीवुड का ही मुंह नहीं ताकना पड़ेगा। और फिर यहां के तमाम ऐतिहासिक और पर्यटन-स्थलों के अलावा यूपी के हिंदी भाषी राज्य होने से भी यहां फिल्मोद्दोग के विकास की संभावनाओं में चार चांद लग जाता है।
यूपी में फिल्म क्षेत्र की प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। गौरतलब है कि तमाम अन्य प्रतिभाओं के अलावा सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन भी यूपी से ही हैं। पर कभी उन्हें भी काम पाने के लिये बॉलीवुड में खाक छाननी पड़ी थी। लेकिन यदि यूपी में प्रस्तावित दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म सिटी, जैसा कि सरकार का दावा है, आकार लेती है तो इन शहकारों को इससे काफी सहूलियत हो जायेगी।
आखिर तमिल, बंगाल, पंजाब आदि तमाम राज्यों की अपनी ही फिल्म-सिटीज़ मौज़ूद हैं, और वे उन पर गर्व करते हैं, तो फिर हिंदी-भाषी राज्य उत्तर-प्रदेश ऐसा क्यूं नहीं कर सकता। बल्कि कहा जाये कि यह बस होने ही वाला है। और सरकार की मानें तो आगामी चुनावों से पहले ही इसी दिसंबर में, गौतमबुद्धनगर यानी नोएडा में करीब एक हजार एकड़ जमीन पर अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकी से लैस विश्व की सबसे बड़ी फिल्मसिटी का निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा। जिसके लिये जमीन-अधिग्रहण का काम भी लगभग पूरा हो चुका है।
यहां फिल्म प्रोडक्शन स्टूडियो, स्पेशल इफ़ेक्ट स्टूडियो, होटल, क्लब-हाउस, वाटर बॉडी, गांव के दृश्य, वर्कशॉप, टूरिस्ट एंड एंटरटेनमेंट शॉपिंग कॉम्प्लेक्स से लेकर एम्यूज़मेंट पार्क, कन्वेंशन सेंटर, पार्किंग वगैरह सभी ज़ुरूरी सुविधायें मौज़ूद रहेंगी।
बता दें कि यमुना एक्सप्रेसवे औद्दौगिक विकास प्राधिकरण अथवा यीडा के सेक्टर-21 में प्रस्तावित विश्व की इस सबसे बड़ी फिल्म सिटी को 'इंफ़ोटेनमेंट सिटी' कहा जायेगा। जहां टीवी सीरियल या फिर फिल्मों की शूटिंग को विशेष स्तरीय स्टूडियो के अलावा एनीमेशन, वेब सीरीज, कार्टून फिल्म, डॉक्यूमेंटरी आदि सभी तरह के निर्माण संबंधी सारी ज़ुरूरी सहूलियतें उपलब्ध रहेंगी।
हालांकि जब पिछले वर्ष 19 सितंबर, 2020 को सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद बॉलीवुड में चल रही उठापटक के बीच योगी सरकार ने इस फिल्म सिटी के निर्माण की घोषणा की तो एकबारगी यह महज एक घोषणा ही नज़र आई। क्योंकि ऐसी ही घोषणा 1987 में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीबी सिंह द्वारा भी की गई थी, जो उतनी सफल नहीं रही।
पर इस बार घोषणा के अगले ही कुछ दिनों में इस पर योगी सरकार ने ताबड़तोड़ काम किया, और इसमें उन्हें फिल्मी दुनिया की बहुत सी हस्तियों का सपोर्ट भी प्राप्त होता गया।
अब आज जब वह बात धरातल पर नज़र आने लगी है तो इसमें कोई शक नहीं कि उत्तर-प्रदेश में फिल्म-सिटी से यहां फिल्मोद्दोग विकास की नई ऊंचाइयां छूने वाला है। और इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि उत्तर-प्रदेश की विशालतम हिंदी-भाषी जनसंख्या की इसमें एक अहम भूमिका होगी।
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