नमस्कार कोमल जी ,वर्तमान समय में व्यस्त रहने वाले लोगो के लिए आपका ये सवाल बहुत सहायक सिद्ध होगा | जो लोग शनि देव का पूजन करते है उन्हें कुछ विशेष बातो का ध्यान रखना चाहिए |
कहते है पीपल के पेड़ में शनि देव बस्ते है | पीपल की पूजा करना मतलब शनि देव की पूजा करना होता है | शनिवार को पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना चाहिए और दिया लगाना चाहिए | परन्तु पीपल में दिया सूर्य देव के निकलने से पहले लगाना चाहिए क्योकि सूर्य देव और शनि देव एक दूसरे के विपरीत है | हर शनिवार सुबह 6 बजे पीपल को जल चढ़ा दो और दिया लगा दो और शाम के समय 7 बजे के बाद दिया लगाना चाहिए |
हमारे शास्त्रों के अनुसार कल्पवृक्ष के नीचे खड़े होकर जिस वस्तु की भी कामना की जाती है वह अवश्य पूरी हो जाती है। कलियुग में लोगों के लिए कल्पवृक्ष तो है नहीं इसलिए पीपल के पेड़ के नीचे ही सच्चे भाव से संकल्प लेकर नियमित रूप से जल चढ़ाने, पूजा एवं अर्चना करने से मनुष्य वह सब कुछ सरलता से पा सकता है जिसे पाने की उसकी इच्छा हो। इसीलिए पीपल को कलियुग का कल्पवृक्ष माना जाता है। पीपल एकमात्र पवित्र देववृक्ष है जिसमें सभी देवताओं के साथ ही पितरों का भी वास रहता है।
क्या न करें :-
शाश्त्रो के अनुसार शनिवार को पीपल पर लक्ष्मी जी का वास माना जाता है तथा उस दिन जल चढ़ाना श्रेष्ठ है वहीं रविवार को पीपल पर जल चढ़ाना निषेध है। शास्त्रों के अनुसार रविवार को पीपल पर जल चढ़ाने से जीव दरिद्रता को प्राप्त करते हैं। पीपल के वृक्ष को कभी काटना नहीं चाहिए। ऐसा करने से पितरों को कष्ट मिलते हैं तथा वंशवृद्धि की हानि होती है। किसी विशेष प्रयोजन से विधिवत नियमानुसार पूजन करने तथा यज्ञादि पवित्र कार्यों के लक्ष्य से पीपल की लकड़ी काटने पर दोष नहीं लगता।
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