जैसा कि आपको पहले भी बताया है एकादशी के बारें में | एकादशी महीने में 2 बार आती है , यह ग्यारहवीं तिथि होती है और इसको ग्यारस भी कह सकते हैं | साल में 24 एकदशी का अपना अलग महत्व होता है |
हिन्दू शास्त्रों में एकादशी को भगवान विष्णु से सम्बोधित किया गया है, इस दिन भगवान विष्णु का पूजन होता है | पापमोचन एकादशी चैत्र मास की कृष्ण पक्ष को पड़ती है, जो कि इस साल 31 मार्च अर्थात आज है | इस एकदशी में पूजन करने से सारे पाप दूर हो जाते हैं | जो लोग एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें पूरे साल के 24 व्रत रखने होते हैं |
व्रत का महत्व :-
इस व्रत का महत्व आपको बताते हैं , एक बार एक ऋषि तपस्या में लीन थे और उनकी तपस्या का इतना प्रभाव था कि इस बात से भगवान इंद्रा घबरा गए और उन्होंने ऋषि की तपस्या को भंग करने के लिए मंजुघोषा अप्सरा को धरती पर भेज दिया |
ऋषि उस अप्सरा को देख कर प्रसन्न हो गए और वह भगवान शिव की आराधना और तपस्या छोड़ कर उस अप्सरा के साथ रहने लगे | काफी समय बीत गया तो एक दिन मंजुघोषा अप्सरा ने ऋषि से वापस स्वर्ग जाने की अनुमति मांगी तब ऋषि को इस बात का बोध हुआ कि उन्होंने धर्म का मार्ग छोड़कर ग्रहस्त जीवन में प्रवेश किया और यह बहुत गलत हुआ |
ऋषि को इस बात से क्रोध आया और उन्होंने अप्सरा को उनकी तपस्या भांग करने और उनका ध्यान आराधना से हटाकर ग्रहस्त जीवन में लाने का कारण मानकर उसको पिशाचिनी होने का शाप दे दिया। अप्सरा इस शाप से दुखी होकर इससे मुक्ति का मार्ग बताने की प्रार्थना की | तब देवर्षि नारद ने दोनों को इस पाप से मुक्त होने के लिए पापमोचनी एकादशी व्रत को करने की सलाह दी | दोनों ने विधि पूर्वक व्रत किया और दोनों पाप मुक्त हुए |
(Courtesy : India TV)