इस सवाल का जवाब भी भारत माता का एक बहादुर बेटा ही है। उनका नाम था जसवंतसिंह रावत जो की 1962 की इंडो-चीन वॉर में अकेले 300 सैनिको से भिड़ते रहे और ३ दिन तक उन्होंने चीन की आर्मी को आगे बढ़ने से रोके रखा। यह उन दिनों की बात है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश हथियाने के मकसद से अपनी एक बड़ी टुकड़ी इस क्षेत्र में भेजी थी। भारत की और से वहां सिर्फ तीन सैनिक मौजूद थे जिसमे से बाकी दोनों को जसवंत सिंह ने वापिस भेज दिया और ऐसा कारनामा दिखाया की चीन की सेना को लगा की वहां पूरी बटालियन मौजूद है।

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जसवंत सिंह अकेले थे पर उन्होंने काफी सूझबूझ से काम लिया और विविध जगहों पर राइफल लगा कर फायरिंग करते रहे जिस से दुश्मन आगे बढ़ने में नाकाम रहे। उनकी सप्लाई लाइन टूट जाने के बावजूद वो दो दिन तक लड़ते रहे और जब लगा की अब वो नहीं मुकाबला कर सकते तो खुद को गोली मर कर शहीद हो गए। जब चीन के सैनिको को पता चला की उन्हें रोकने वाला सिर्फ एक योद्धा था तो उन्होंने जसवंत सिंह का सर काट साथ ले लिया। युद्ध ख़त्म होने के बाद चीन ने जसवंत सिंह का सर पुरे सन्मान के साथ वापिस किया और उनकी एक कांस्य प्रतिमा भी बनाकर भारत को दी।