करणी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है। इस मंदिर को औरों से अनोखा इसलिए कह सकते हैं, क्योकि इसको चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता है | क्या है इन चूहों का रहस्य आज आपको बताते हैं | करणी माता का मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित है |
जहाँ चूहे का नाम सुनकर कुछ लोग डर जाते हैं, और कुछ लोग चूहों को प्लेग नमक के रोग का कारण बताते हैं, वही करणी माता मंदिर चूहों के लिए ही प्रसिद्द है | इस मंदिर में लगभग 20 हज़ार चूहें हैं, और सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है, कि इतने सारे चूहे होने के बाद भी यहां किसी प्रकार की कोई गंध नहीं आती और न ही कभी कोई बीमारी पड़ा है | लगभग 20 हज़ार चूहों में कुछ चूहें सफ़ेद रंग के भी है, और जिनको सफ़ेद रंग के चूहे दिख जाते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है |
इस मंदिर के चूहों की बहुत खास बात यह है, कि इस मंदिर में सुबह 5 बजे की आरती और शाम 7 बजे की आरती के समय में ही चूहे अपने बिल से बाहर आते हैं | मंदिर के चूहों को काबा कहते है | यहां पर जो भी भोग लगता है, वो पहले चूहे खाते हैं, उसके बाद वो लोगों में बांटा जाता है |
करणी माता मंदिर का निर्माण :-
करणी माता मंदिर का निर्माण 20 वीं शताब्दी में बीकानेर के महाराजा "गंगा सिंह" ने किया था | करणी माता को उनके भक्त माता जगदंम्बा का अवतार मानते हैं | माता करणी का जन्म 1444 में जोधपुर के एक परिवार में हुआ | इन्हें सब रिगु बाई के नाम से जानते थे | रिगु बाई की शादी के कुछ समय बाद ही उनका मन सांसारिक जीवन से भर गया और उन्होंने अपने पति की दूसरी शादी अपनी छोटी बहन से करवा दी और खुद सब कुछ छोड़ कर भगवान की भक्ति और लोगों की सेवा में लीन हो गई |
तब से वहाँ के लोग रिगु बाई को करणी माता नाम से पूजने लगे |
(Courtesy : Patrika )
एक कहानी के अनुसार करणी माता का सौतेला बेटा कोलायत में स्थित कपिल सरोवर में पानी पीने गया और डूब कर मर गया | जब यह बात करणी माता को पता चली तो करणी माता ने यमराज से अपने पुत्र के जीवन को वापस माँगा | यमराज ने पहले तो करणी माता की इस बात से मना कर दिया पर फिर यमराज ने करणी माता के बेटे को चूहे के रूप में पुनः जीवित कर दिया | तब से इस मंदिर में चूहों का राज चलता है | कई लोग इन चूहों को करणी माता की संतान भी कहते हैं |
यह मंदिर खुद में ही एक चमत्कार है, और यह सभी मंदिरों से अलग इसलिए अलग है |
मैहर माता के मंदिर का रहस्य क्या है ?