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माता अहिल्या को भगवान श्रीराम ने तारा था।जो एक पत्थर की मूर्ति बन गई थी। क्योंकि जब इंद्रदेव गौतम ऋषि का वेश धारण करके उनकी कुटिया से निकल रहे थे तभी ऋषि गौतम अपने ही वेश में इंद्र को देखकर क्रोधित हो गए और उन्होंने अपनी पत्नी अहिल्या को श्राप देकर पत्थर का बना दिया । इसमें माता अहिल्या की कोई भी गलती नहीं थी लेकिन उन्होंने अपने पतिऋषिकाश्राप स्वीकार किया और पूरे जीवन पत्थर बनकर रही ।
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बहुत ही अच्छा सवाल है कि माता अहिल्या को किसने तारा और क्यों? तो मैं आपको बता दूं कि माता अहिल्या महर्षि गौतम की पत्नी थी। एक बार की बात है जब इंद्रदेव महर्षि गौतम का रूप धारण करके उनके कुटिया से बाहर निकाल रहे थे तभी वहां पर महर्षि गौतम पहुंच जाते हैं और इंद्र देव को अपने रूप को धारण किए हुए देखकर क्रोधित हो जाते हैं और उसी वक्त अपनी पत्नी अहिल्या को श्राप दे देते हैं और उसी वक्त अहिल्या पत्थर की मूर्ति बन जाती हैं। लेकिन माता अहिल्या को भगवान श्रीराम ने तारा था।
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