इसलिए अगर आप मंत्र, तंत्र आदि के अध्ययन को आगे बढ़ाना चाहते हैं, जो मनोगत शक्तियों को जन्म दे सकता है, तो शाकाहारी जाना बहुत अच्छा है।
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इसलिए अगर आप मंत्र, तंत्र आदि के अध्ययन को आगे बढ़ाना चाहते हैं, जो मनोगत शक्तियों को जन्म दे सकता है, तो शाकाहारी जाना बहुत अच्छा है।
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आज के समय में कोई भी हिंदू धर्म वाले शाकाहारी नहीं रहे हैं। शाकाहारी होना या मांसाहारी होना व्यक्ति का यह स्वयं का निजी फैसला होता है। आज के परिवेश में चलते हुए किसी भी धार्मिक इंसान शाकाहारी नहीं होते हैं यह अपने खानपान को स्वयं ही निर्धारित करते हैं कि हमें क्या खाना है क्या नहीं खाना और यह उन्हीं के मुताबिक यदि होता है तो इससे सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव दोनों तरह के प्रभाव दुनिया में देखने को मिलते हैं.।Loading image...
सभी हिंदू शाकाहारी नहीं होते हैं। लेकिन तंत्र शास्त्र के अनुसार अपने लिए तंत्र गुणों को प्राप्त करना माना गया है। यह कहना उचित नहीं होता है कि सभी हिंदू शाकाहारी है या मांसाहारी क्योंकि यहां लोगों को अपने पसंद का खाना खाने का अधिकार होता है। इसलिए कुछ लोग बिल्कुल मसाहरी होते हैं जैसे कि वह लोग मांस मछली मुर्गा आदि पशुओं का सेवन करते हैं। और कुछ लोग हैं शुद्ध शाकाहारी होते हैं वे लोग अपने भोजन में घी दूध दही आदि रोटी सब्जी का सेवन करते हैं। आज के युग में कोई भी व्यक्ति शुद्ध शाकाहारी नहीं होता है। इसलिए निर्धारित नहीं किया जा सकता आज के युग में सब शाकाहारी हैं।Loading image...
हमारे देश के सभी हिंदू शाकाहारी नहीं है क्योंकि वह अपने अनुसार ही अपना भोजन करते हैं चाहे वह शाकाहारी हो या फिर मांसाहारी! पहले हमारी हिंदू सभ्यता में लोगों को दूसरे जीव का मांस खाना पाप समझा जाता था , क्योंकि पहले के ऋषि मुनि कहते थे की अगर कोई व्यक्ति किसी का मांस खाते हैं तो उसे राक्षस के समान माना जाता है! पहले हमारे हिंदू धर्म में मांस नहीं खाया जाता था! लेकिन अब यह परंपरा धीरे-धीरे समाप्त होती नजर आ रही है! हर लोग अपनी सभ्यता को भूलते जा रहे हैं!Loading image...