देवउठनी एकादशी व्रत का क्या महत्व है ? - letsdiskuss
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राहुल ओबरॉय

Engineer,IBM | पोस्ट किया | ज्योतिष


देवउठनी एकादशी व्रत का क्या महत्व है ?


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Content Writer | पोस्ट किया


एकादशी जो की हर महीने में 2 बार आती है | जिसको तिथि के आधार पर ग्यारस कहते हैं, जो 15 तिथियों में 11 वें दिन आती है | आज हम बात कर रहे हैं, देवउठनी ग्यारस की | आपको बता दें देवउठनी ग्यारस दिवाली के 11 वें दिन आती है | आज की एकादशी को कार्तिक शुक्ल एकदशी,देवप्रबोधनी, और देवउठनी एकादशी भी कहते है |

आइये आपको बताते हैं, आज की एकादशी का क्या महत्त्व है | यह एकादशी शुक्ल पक्ष को आती है | आज के दिन के बाद शुभ काम होना शुरू हो जाते हैं |

देवउठनी एकादशी का महत्व :-
आज के दिन भगवान विष्णु चार महीने के बाद जागते हैं, और आज के दिन भगवान विष्णु के विवाह तुलसी के साथ किया जाता है | इसलिए इसको तुलसी विवाह के नाम से जाना जाता है | आज की एकदशी के बाद सभी तरह के शुभ कार्य शुरू हो जाते है | कहा जाता है, कि इस दिन व्रत और पूजन करने वाले को एक हजार अश्वमेघ यज्ञ करने का फल मिलता है | एक मान्यता के अनुसार यह कहा जाता है, कि विष्णु भगवान देवउठनी ग्यारस के 4 महीने पहले से सोये होते हैं, जब कोई शुभ काम नहीं होता |

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कैसे करें पूजा :-
- सबसे पहले सुबह उठ कर नहाकर सूरज के उगते समय उनको जल से अर्घ्य देना चाहिए |

- फिर अपने पूजा स्थल में पूजा करें और उसके बाद "ऊं भूत वर्तमान समस्त पाप निवृत्तय-निवृत्तय फट्" मंत्र का जाप 101 बार करें |

- पूजा के बाद 108 बार हवन की आहुति दें | ऐसा करने से आपको जीवन के सारे रोग और कष्टों से मुक्ति मिलेगी |
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आज के दिन गन्ने की पूजा की जाती है | तुलसी और गन्ने की एक साथ रखा जाता है | तुलसी में शालिग्राम रखें जाते हैं, जिसको विष्णु भगवान कहा जाता है |

- अब इसके बाद तुलसी और शालिग्राम की पूजा की जाती है, उनका विवाह किया जाता है, हवन की आहुति दी जाती है, और फिर भोग लगाया जाता है |

इस तरह देवउठनी एकादशी की पूजा सम्पन्न की जाती है |


पंचक में कौन से काम नहीं करना चाहिए ? जानने के लिए नीचे link पर click करें -


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