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भगवान श्री राम जी के जब संसार में सभी लीलाये समाप्त हो गई और रावण का सन्हार हो गया तब उन्होंने इस धारा धाम को छोङ दिया। उनकी मृत्यु हुई या उनका दाह संस्कार हुआ ऐसा कही नही लिखा है।यह सब मानव के साथ होता है भगवान श्री राम महा मानव थे। जब त्रेता युग मे सभी देव गणों ने उनसे वापस आने का आग्रह किया तो भगवान श्री राम अपने परम धाम की और चल दिए तब उनके साथ उनका पुरा कौशलपुर जो वर्तमान मे आयोध्या के नाम से जान जाता है जीव जंतु, पशु पक्षी मानव सभी सशरीर जल मग्न हो गए। भगवान श्री राम जहा अद्रश्य हुए वह स्थान आज भी फेजाबाद मे सरयू तट के किनारे है। और गुप्तार तट के नाम से प्रसिद्द है।
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जब भगवान श्री राम जी की पृथ्वी पर सभी लीलाएं समाप्त हो जाती है और रावण का संहार हो जाता है तब भगवान राम इस पृथ्वी को छोड़ पर सरयू नदी पर समाहित हो जाते हैं ऐसा कहा जाता है कि जब माता सीता पृथ्वी को छोड़कर धरती पर समाहित हो जाती है तभी भगवान श्रीराम ने सरयू नदी मे जल समाधि लेकर पृथ्वी लोक का परित्याग कर दिए थे तभी उनके साथ पूरा कौशलपुर जो अभी अयोध्या के नाम से जाना जाता है उनके साथ सभी जीव जंतु पशु पक्षी मानव सभी जलमग्न हो गए थे। जहां भगवान श्रीराम अदृश्य हुए थे आज भी वह स्थान फैजाबाद में सरयू नदी के तट के किनारे हैं।
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