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Marketing Manager (Nestle) | पोस्ट किया |


अगर फिर लॉक डाउन बढ़ा दिया जाए तो क्या जनता विद्रोह पर उतर आएगी?


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pravesh chuahan,BA journalism & mass comm | पोस्ट किया


लाकडाउन बढ़ने से जनता विद्रोह करेगी,इसका कारण यह है कि जिसके पास पैसा नहीं होगा, खाने के लिए राशन नही होगा और जिसको सरकार से राशन ही नही प्राप्त होगा वह विरोध तो करेगा ही और विरोध करना लाजमी भी है. जब लाख डंकी खोजना आती है बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर आ जाते हैं क्योंकि प्रधानमंत्री लोगों के लिए आर्थिक सहायता और राशन की सुविधा के लिए कोई खास ऐलान नहीं करते हैं.

जरूरी नहीं है कि लोग भूखे मर रहे हैं बेरोजगारी की वजह से लोग पहले ही दर-दर भटक रहे थे और उनके पास पैसा नहीं था लाकडाउन की वजह से तो लोग दर-दर भटक ही रहे थे.इसमें कोई शक की बात नहीं है. बेरोजगारी की वजह से लोग विरोध तो पहले भी कर रहे थे फर्क सिर्फ इतना था मुख्यधारा की मीडिया इसे दिखा नहीं रही थी जिस वजह से ऐसे लोगों की आवाज दबी हुई थी.

पहले ज्ञात हो कि जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है, वर्ल्ड मीटर के अनुसार अभी भारत की कुल जनसंख्या 137 करोड़ है. और इतनी ज्यादा जनसंख्या वाले देश में अभी तक वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 17300 है. देखा जाए तो अभी तक भारत की स्थिति बाकी देशों से कई गुना अच्छी है.

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कुल 37 करोड लोग गरीब हैं. इतनी बड़ी संख्या में गरीब होने की वजह से भूखे मरने वालों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ सकती हैं और इन्हीं में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोग भी हैं जो रोज भुख की वजह से तड़प रहे हैं अब सोचिए ऐसे लोग विरोध करेंगे या नहीं करेंगें, कौन भूखा मरना चाहता है क्योंकि वह खुद तो रोजाना कमाने पर निर्भर हैं वह कैसे अपना और अपने घर का पेट पाल सकते हैं. सोशल मीडिया में वायरल वीडियो में देख रहे होंगे कि किस तरह लोग भूखे मर रहे हैं गरीबी की वजह से यमुना नदी के किनारे सड़े हुए केले खाने को मजबूर हैं. लोग विरोध प्रदर्शन कैसे नहीं करेंगे. यानी क्लॉक डाउन बढ़ाएंगे या नहीं बढ़ाएंगे जो 37 करोड़ गरीब थे मजदूर थे, वह लोग भूखे तब भी मर रहे थे बेरोजगारी की वजह से और अब भी भूखे मर रहे हैं लॉकडाउन की वजह से,

अभी हाल ही में मुंबई में कई संख्या में प्रवासी लोग इकट्ठे हो जाते हैं और वह सोचते हैं कि ट्रेनें चलेंगी वह अपने अपने राज्यों को प्रस्थान करेंगे मगर ऐसा बिल्कुल नहीं होता है. लोगों को लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रवासी लोगों के लिए कोई राहत भरी बात करेंगे मगर ऐसा नहीं होता है और यह होना भी नहीं चाहिए क्योंकि इससे वायरस फैलने का खतरा ज्यादा बढ़ सकता है. प्रवासी लोग अपने आप को दूसरे राज्य में फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं इन लोगों का सब्र का बांध टूट जाता हैं और सड़कों पर इकट्ठा हो जाते हैं और सरकार के खिलाफ विद्रोह चालू कर देते हैं.

मोदी जी के दूसरे लाकडाउन की घोषणा के बाद कई जगह पर लोग फिर से सड़कों पर आ जाते हैं और अबकी बार पर्याप्त मात्रा में राशन ना मिलना, भूखे रहना इन सभी मुद्दों को लोग उठाते हैं. उनका कहना होता कि सरकार हमारे लिए कुछ नहीं कर रही, हम विद्रोह नहीं करेंगे तो क्या करेंगे अब भूखे थोड़ा ना मरेंगे,ना ही सरकार किसी तरह की आर्थिक मदद कर रही हैं.

अगर तीसरा तालाबंदी की घोषणा हो जाती है तो इससे बहुत सी जनता जोकि अभी भी भूखी मर रही है वह प्रभावित हो उठेगी उनके सब्र का बांध टूट जाएगा अगर उनको काम नहीं मिला तो वह पल पल घूट कर वैसे ही मर रहे हैं और अब तो और भी मरेंगे.. इसका कारण यह है कि सरकार किसी भी तरह से लोगों की आर्थिक सहायता प्रदान नहीं कर रही है. अगर सरकार ने जल्द ही कोई खास रणनीति नहीं बनाई तो तीसरे लाकडाउन के समय में जरूर विरोध प्रदर्शन होंगे.

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