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sabares waran

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इस्लाम में ट्रिपल तालाक मान्य है?


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सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ट्रिपल तलाक पर फिर बहस छिड़ गयी, कुछ कह रहे है ये बैन होगा और कुछ इसके पक्ष में है। इस्लाम के जानकारो के अनुसार ट्रिपल तलाक के बारे में पैगम्बर मोहम्मद ने कुछ नहीं कहा था, अपनी सहूलियत के लिए पुरुषों ने इसे बाद में इ्जात किया। कई मुस्लिम देशों में यह बरसों पहले ही बैन कर दिया गया है जिसमे टर्की, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश है। तलाक की जड़ें अरबी भाषा में है, इसका अर्थ किसी भी बंधन से मुक्त हो जाना। इस तरह से शब्द तलाक शादी का अंत लाने के लिये इस्तमाल होना शुरु हुआ।


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सौजन्य: लाइवलो.इन

पहला तलाक तलाक-उल-सुन्ना, दूसरा तलाक तलाक-अल-बिदअत के नाम से जाना जाता है। इस्लाम के अनुसार बाद में इसे दो तरीकों में विभाजित कर दिया गया| पहला जिसमे 3 बार तलाक कहकर तलाक दिया जाता है, दूसरा जिसमे लिख कर तलाक दिया जाता है। इस्लाम के अनुसार ट्रिपल तलाक मान्य नहीं है, यह सच है की पाकिस्तान, टर्की, मिस्र और बांग्लादेश में तलाक देने का यह वैध तरीका नहीं है। इसके अलावा अल्जीरिया और श्री लंका में भी यह अमान्य है। इस्लाम लॉ ऑफ़ डाइवोर्स को समझते हुए इंडियन लॉ इंस्टिट्यूट में प्रोफेसर डॉ. फुरकान ने कहा की तलाक नियम बहुत कठिन है इस लिए आम लोगों ने यह तरीका ढूंढ निकला है जो की मान्य नहीं है।

https://feminisminindia.com/2017/08/23/quran-triple-talaq/



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