इस्मत चुग़ताई कौन हैं,और उनकी कहानियां आज के समय में क्यों पढ़ी जानी चाहिए ? - letsdiskuss
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Medha Kapoor

B.A. (Journalism & Mass Communication) | पोस्ट किया |


इस्मत चुग़ताई कौन हैं,और उनकी कहानियां आज के समय में क्यों पढ़ी जानी चाहिए ?


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Creative director | पोस्ट किया


इस्मत चुग़ताईउर्दू साहित्य की उन महिलाओं में से एक हैं जिन्हे हम उस समय की सबसे खतरनाक महिला कह सकते हैं क्योंकि वह जो लिखती थी उसे वह समाज की कल्पना से परे था | इस्मत चुग़ताई जो कुछ लिखती थी वह उस समय के हिसाब से बहुत आगे था | वह अपनी लघुकथाओं (short stories ) के लिए मशहूर थीं|उन्हेंएक निडर लेखिका कहा जाता है क्यूंकि वह जो कहती थीं वही लिखती भी थीं |
उनकी सबसे मशहूर किताब, लिहाफ या The Quilt , जो कि भारत के विभाजन के पहले लिखी गयी , साहित्य की दृष्टि से उच्चस्तरीय थी | उन्होंने उस कहानी में समलैंगिक कामुकता के बारे में लिखा जिसके कारण उन्हें आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा साथ ही उनके ऊपर लाहौर में मुकदमा भी चला | यह वही समय था जब एक और शानदार उर्दू लेखक सादत हसन मंटो को अपनी छोटी कहानी बू या The Odour के लिए मुकदमे का सामना करना पड़ रहा था।
इस्मत चुगताई को, न्यायाधीश ने कहा कि उनकी कहानी ठीक है लेकिन मंटो की कहानी गंदगी से भरी हुई है। जवाब में, इस्मत चुग़ताई ने कहा कि गन्दगी से भरी हुई कहानियां नहीं बल्कि समाज है | और हाँ, इस गंदगी को उठाना/लिखना जरूरी है ताकि यह दिखाई दे और इसे साफ किया जा सके। उनकी यह बात उनकी कहानी लिहाफ, घुओघाट, अमीर बाई और चिरी की दुक्की में साफ़ साफ़ नज़र आती है |

मुझे लगता है इतना जानकार आप समझ ही गए होंगे कि इस्मत चुग़ताई उर्फ़ इस्मत आपा कौन थीं और किस तरह कि महिला थीं | उन्होंने खुद को साहित्यिक कथाओं तक सीमित नहीं किया, लेकिन सिनेमा में भी अपना हाथ आजमाया। उन्होंने जिद्दी (1 9 48) की पटकथा लिखी जो उनकी कहानियों में से एक पर आधारित थी। उन्होंने आरज़ू (1 9 50) के लिए पटकथा भी लिखी, और फरीब (1 9 53) को निर्देशित किया।

इस्मत चुग़ताई के जन्मदिन पर, यदि आप मुझे केवल एक शब्द में उनका वर्णन करने के लिए कहेंगे, तो वह शब्द "विद्रोही" होगा। वह अपने समय से बहुत आगे थी (और वह अभी भी है), क्योंकि उस पिछड़े समय में भी उनकी कहानियाँ "आधुनिक" थीं, इसलिए उनकी कहानियों की प्रासंगिकता आज भी, उनकी मृत्यु के बाद भी है। मंटो की तरह, उनकी कहानियाँ पूरी तरह से आज के परिदृश्य से मेल खाती हैं । मंटो की आने वाली बायोपिक में इस्मत चुग़ताई उनकी दोस्त के रूप में नज़र आयंगी |
हर तरह से उनकी कहानियां हमें समाज की "गंदगी" दिखाती हैं, और हमें उर्दू साहित्य और भाषा की सुंदरता से परिचित कराती हैं |

Letsdiskuss picture courtesy -Feminism In India


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