काल भैरव को शिव जी का एक रूप माना गया है | काल भैरव की उत्पत्ति शिव के क्रोध से हुई है | इसलिए उन्हें शिव जी का अंश माना गया है | काल भैरव के बारें में एक आश्चर्य जनक बात तो उनका मदिरा पीना है | जी हाँ! काल भैरव के मंदिर में उनकी मूर्ति का मदिरा पान बड़ा ही आश्चर्य बना हुआ है |
काल भैरव की उत्पत्ति :-
पुराणों के अनुसार भगवान ब्रह्मा जी और विष्णु जी दोनों में खुद को सर्व श्रेष्ठा समझने में विवाद हुआ | सभी देवी देवता इस विवाद को सुलझाने में लगे रहें परन्तु कोई निष्कर्ष नहीं निकला | सभी देवता इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान शिव के पास गए और उन्होंने शिव से इस बात का निष्कर्ष माँगा | भगवान शिव को इस बात पर इतना गुस्सा आया कि उनके गुस्से से का एक अंश धरती पर गिरा जो काल भैरव बना | इस तरह काल भैरव की उत्पत्ति हुई |
मदिरा पान का रहस्य :-
कभी ये कहा जाए की कोई मूर्ति मदिरा (शराब ) पीती है, तो क्या आप भरोसा करेंगे | नहीं ! इस बात पर शायद ही कोई भरोसा करें की कोई मूर्ति शराब पीती है | पर आपको बता दें ये सच है | कल भैरव की मूर्ति शराब का सेवन करती है |
अब इसको आस्था समझे या अन्धविश्वास परन्तु ये सच है | उज्जैन के महाकाल मंदिर से 5 किलोमीटर दूरी पर स्थति काल भैरव का मंदिर हैं | मंदिर जाने के लिए फूल-माला, श्रीफल , प्रसाद के साथ-साथ एक वाइन की बोतल भी मिलती है,जो काल भैरव को चढ़ाने के लिए होती है | मंदिर के पंडित जी एक प्याले में शराब निकाल कर भगवान के मुँह में लगा कर कुछ मंत्र का उच्चारण करते हैं और उसके बाद का दृश्य हैरान करने वाला होता है, मूर्ति जिस तरह शराब का सेवन करती है, वह बड़ा ही आश्चर्य कर देने वाला दृश्य है |
बड़ा ही अनोखा सा था ये सब कुछ | कहते है, चमत्कार को नमस्कार होता है, पर यहां तो चमत्कार कहें या अन्धविश्वास बस जो भी यही है |