Optician | पोस्ट किया |
Marketing Manager | पोस्ट किया
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Thinker | पोस्ट किया
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@letsuser | पोस्ट किया
चार पंक्तियों में अगर मै अपनी ज़िन्दगी व्यक्त करूँ तो वह पंक्तिया यह होंगी :-
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Marketing head | पोस्ट किया
जन्म हुआ तब माँ की भाहे थी ज़िन्दगी
चलना सिखा तब पाठशाला बनी ज़िन्दगी
बड़ा जब कद मेरा तब बनी मेरी साथी मेरी जिन्दगी
और जब दुनिया तकलीफ में भी सलाम करे हौसलो को आपके उसे कहते है ज़िन्दगी ।
अगर आपको मेरा उत्तर पसंद आया हो तो कृपया कर ऐसे ही हौसलो वाले पोस्ट पढ़िये मेरे ब्लॉग पर लिंक आपको मिल जाएगी नीचे
https://zindagimeriteacher.blogspot.com/2018/09/zindagi-meri-teacher-soch-aur-dar.html?m=1
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Optician | पोस्ट किया
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B.A. (Journalism & Mass Communication) | पोस्ट किया
हमने भी तेरे हर एक ग़म को
गले से लगाया है
है न !
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Content Writer | पोस्ट किया
हर वक़्त जो नया ग़म दे वो ज़िंदगी,
न दे जो सिर्फ जीने की उमीदें
जो मरने के लिए थोड़ी सी ज़मीन भी दे वो ज़िंदगी.............
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Engineer,IBM | पोस्ट किया
कुछ न कहो फिर भी क्यों सहती है ये ज़िंदगी,
वक़्त बेवक्त एक आहट महसूस करता है ये दिल,
न जाने किस हद तक बदलेगी ये ज़िंदगी
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@letsuser | पोस्ट किया
वक़्त का तूफ़ान कभी थम नहीं सका
जब भी सोचा ज़िंदगी जिएंगे अब खुल के
तभी न जाने क्यों ज़िंदगी को ये सहन न हो सका........
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| पोस्ट किया
जिंदगी को चार पंक्ति में समेटना थोड़ी मुश्किल है क्योंकि जिंदगी में इतने उतार और चढ़ाव आते हैं कि कुछ समझ में नहीं आता है कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए कभी जिंदगी में खुशी आती है तो कभी जिंदगी में गम आता है इस प्रकार जिंदगी में गम और खुशी का दौरा लगा रहता है लेकिन फिर भी मैं कोशिश करूंगी कि किन्हीं चार पंक्तियों में जिंदगी को कैसे समेटा जा सकता है।
कुछ इस तरह जिंदगी को 4 पंक्तियों में समेट सकते हैं जैसे कि हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं :-
सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है फिर भी हर एक सत्य एक ही होगा।
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