बजरंग पुनिया भारतीय कुश्ती पहलवान हैं | इन्होने एशियाई खेलों व राष्ट्रमंडल खेलों 2018 में स्वर्ण पदक जीते | एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलो में स्वर्ण पदक जीतना कोई आसान कार्य नहीं है, इसी के चलते कुश्ती महासंघ द्वारा बजरंग पुनिया का नाम राजीव गांधी खेल रत्न के लिए दिया गया था | बजरंग पुनिया अर्जुन अवार्ड से सम्मानित खिलाडी हैं | एक खिलाड़ी के जीवन में इन अवार्ड का महत्व अत्यधिक होता है क्यूंकि वह खिलाड़ी अपना खून पसीना बहाकर अपने देश के लिए पदक लेकर आता है और बदले में यह उनके देश द्वारा उनके लिए सम्मान होता है, जिसके वह सच्चे हकदार हैं |
बजरंग पुनिया का नाम जब राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार चुनाव सूची के लिए दिया गया तो उन्हें पूरा विश्वास था कि सरकार द्वारा उनका चुनाव किया जायगा परन्तु ऐसा नहीं हुआ | सरकार द्वारा राजीव गाँधी खेल रत्न के लिए विराट कोहली और मीराबाई चानू को चुना गया | इस पुरस्कार के लिए खिलाड़ियों द्वारा अंक अर्जित होते हैं जिसके आधार पर उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना जाता है | जहाँ विराट कोहली का अंक शुन्य है वहीं दूसरी ओर बजरंग पुनिया के अंक 80 हैं | जमीन आसमान का फर्क होने के बावजूद सरकार का बजरंग को न चुनकर विराट को चुनना स्पष्ट रूप से गलत है |
बजरंग पूनिया ने मीडिया को दिए ब्यान में बताया कि वह खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर से मिलकर इस विषय में चर्चा करेंगे और जवाब मांगेंगे कि सरकार द्वारा उन्हें न चुनने कि क्या वजह थी | बजरंग ने कहा "मुझे नहीं पता कि सरकार मुझे नज़रअंदाज़ क्यों कर रही है, किसी भी खिलाड़ी द्वारा भीख में पुरस्कार मांगने कि नौबत आजाए तो यह शर्म की बात है, परन्तु इस साल मैंने अच्छा प्रदर्शन किया है और एक पहलवान की ज़िन्दगी का आपको कुछ नहीं पता, एक चोट और आपका करियर खत्म, इसलिए यह पुरस्कार मेरे लिए बहुत महत्व रखता है |"
जब बजरंग पुनिया से पूछा गया कि यदि सरकार ने आपकी बात नहीं सुनी तो क्या आप अदालत का दरवाजा खटखयेंगे, तो इसपर बजरंग पुनिया ने जवाब दिया "यदि ज़रूरत पड़ी, तो हाँ !"